जिंदगी की सख़्तियों से
घबराए नहीं हम,
नज़ाकत को देखके हमारी,
अंदाजा लगाना नहीं तुम।।
दर्द-ए-समुंदर में
शहर बसाया करते हैं हम,
शुरुवाती तूफ़ान से,
ये देखो डर भी गए तुम।।
अभी तो शहर से निकले है,
कुछ मुकाम लेके हम।
गेरत को तुम्हारी दिलकश देगा नही,
युही खाली हाथ जब लोट जाओगे तुम।।
नया लवाजमत नई निर्भयता लाया है,
देखो नजुक थे, पर अब नही हम।
पार लगाने पटवार भी संग लाए हैं,
आजमाना है, तो देखोलो तुम।
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