Disha Mahesh Joshi   (Disha Mahesh Joshi)
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Joined 22 January 2019


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13 FEB 2021 AT 11:13

दरिया, नदी, बादल और रास्ते
पहाड, झरने ओर झुरमुट|
संग आए अपने वास्ते
सफर मे हम, हमसफर तुमll

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4 FEB 2021 AT 11:16

पूछ ना ऐसे सवाल
जवाब जिसका हो मुश्किल
और हकीकत होना ना मुमकिन।

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4 FEB 2021 AT 6:43

रात काली, दिन उजला।
एक तू याद, बाकी सब धुंधला।।

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3 FEB 2021 AT 6:19

तुमसे रोज मिल पाना मुमकिन सा नही,
बस अल्फाज़ो से ही छु लिया करो।।

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1 FEB 2021 AT 12:39

तुम यूँ मिले की कारवां सफर बन गया।
चंद वक्त के लिए ही सही तू हमसफर बन गया।।
नोंक-झोंक, रूठना मनाना, आम किस्सा है जिदंगी का,
पर क्या यह सही है यूं वक्त गवाने का?
आओ अपनाए आदतें,  कुछ मन से कुछ अनमनें,
कुछ मै समझु या शायद ज्यादा तुम समझो,
पर गुस्सा छोडो और माफ भी करो,
कातिलाना है यह चुप्पी, क्या यह तुम्हे भी नही चुभती?
सपनों सा और सपनो का सफर है यही।
चलो, फिर से शुरूआत करे नई।

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31 JAN 2021 AT 12:06

अपने सफर में तुम , अपने सफर में हम,
फासलें दरम्यान, बावजूद हमसफर हम।।

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30 JAN 2021 AT 20:11

तुमसे दूरी क्यों है जरूरी?
क्या ये है तुम्हारी मजबूरी या मगरूरी?

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19 MAY 2020 AT 0:18

बहुत कुछ बदल सा गया है मुझमें
मैं, मै ना रही अब मुझमें,
दूर तक रही तलाश, पर खुद को ना पाया खुद में,
बडी हसरतें थी के कुछ दिन में गुजारूगीं तुझ में,
तुम तक जानेकी राह पर पाया खुद को गुमशुदा,
क्युकी ना थी जगह मेरे लिए तुझ में,
बडी बेरुखी की थी खुद से, ताकि मैं रह सकूँ तुझ में,
अब तू ही बता दे,
कैसे लौटूं मैं मुझमें?
क्युकी मैं , मैं ना रही मुझमें।

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26 APR 2020 AT 7:42

તારી પાસેથી કાંઇક ઉધાર જોઇએ છે
ચિંતા ના રાખીશ મારે ક્યાં કાયમ માટે જોઇએ છે
વ્યાજ આપીશ હું એનુ, ચક્રવ્રુધ્દિ અને
સમયસર ચૂકવી પણ દઇશ.....
જતન જીવથી કરીશ વધારે.
જેમ લીધુ છે એમ પાછું પણ આપીશ..
અને હા આ દરમ્યાન તુ પણ વાપરી શકે
કારણ કે તુ તો માલીક છે ને....
કોઇ નુકશાની જો આવે તો ભરપાઇ મારી...
જો મંજુર હોય તો વાત આગળ કરીએ...

ઉધારમાં મને તુ જોઇએ છે.

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15 FEB 2020 AT 8:27

माँ के आने का हवाएं पैगाम लाई है,
माँ ने बनाए थे चावल
और वो बोली बिरियानी बनाई है।

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