Dipti Sharan   (DEEP"रूप")
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Still a mystry book, turning pages...
Joined 14 August 2020


Still a mystry book, turning pages...
Joined 14 August 2020
16 NOV 2023 AT 5:42

क्या मेरी कविता सुनोगे तुम..
कुछ एहसास है उनमें,
क्या समझोगे तुम..
क्या मेरी कविता सुनोगे तुम..
कुछ रंग हैं उनमे,
क्या देखोगे तुम..
कह रही मन की अनेकों बातें
कुछ अनसुनी धड़कन हैं उनमे,
उन्हें आवाज़ देकर क्या बोल दोगे तुम,
क्या मेरी कविता सुनोगे तुम..
कुछ एहसास है उनमें,
क्या समझोगे तुम..

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11 JUN 2023 AT 8:38

यही तो मेरा सत्य है
जो असत्य सा ही सत्य हैं
फ़ूलों की तरह जो थी खिली,
अंगारों पर चलना था मगर
रेशम की छाँव सर पर थी
तपिश सहना था मगर
रंगों के सपनों में थी खेली
सपना तो टूटना था मगर
यही तो मेरा सत्य है
जो असत्य सा ही सत्य है...

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7 FEB 2023 AT 2:26

Is it enough to believe...??
Or is it enough to surrender...??

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4 NOV 2022 AT 0:34

उन पत्तों के बीच छुपे अंधियारे से,
झाँकती है एक जोड़ी मधुर संगीत की,
सुबह सुबह चहकती हुई डालियों पर,
कभी दाना ढूँढती हुई दीवारों पर,
एक छोटी सी पर रंगीली सी..
गाती बहुत सुरीली सी..
इतराती हुई प्यारी सी...
चौकन्नी होती नन्ही सी..
चिरैया है ये छोटी सी..

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19 SEP 2022 AT 0:46

I do it for myself,
So that I move on..
But yeah folk..
I would never forget that..
So, the hurt part wont repeat..
When I chose to forgive,
I do it for myself,
So that I grow more,
But yeah dear..
I will observe your each step..
As the trust was murdered along...

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8 JUL 2022 AT 18:09

We learn MORE in our journey, than destination...
Experiences are the result of these journeys..
And Realisation of Experience is the result of Destination...
So, keep moving for experiences and work for their realisations...

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1 JUN 2022 AT 16:24

Sometimes the Quite tells you the loudest thing.....

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21 APR 2022 AT 6:54

उसकी मुस्कुराहट ने ऐसे उसकी आँखें बंद की,
कि मेरे आँसू भी उसे अपने ख़ुशी के लगे...

ये जाने बिना कि हम भी खुश है या नहीं,
उसने सिर्फ़ अपनी ही चाहत सबसे पहले रखी...

प्यार में तो हम थे गिरे हुए..
हमे तो बस उसके साथ की चाह दिखीं....

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14 MAR 2022 AT 22:00

कभी सोचूँ कि उड़ जाऊँ बादल की तरह
कभी सोचूँ कि गिर जाऊँ बारीश की तरह
कभी सोचूँ कि बह जाऊँ हवा की तरह
ना रहूँ मैं कहीं, पर रहूँ हर जगह...

कभी सोचूँ कि भर जाऊँ रूदन की तरह
कभी सोचूँ कि चमक जाऊँ हँसी की तरह
कभी सोचूँ कि खो जाऊँ ख्यालों कि तरह
ना रहूँ मैं कहीं, पर रहूँ हर जगह...

वजूद हैं मेरा सूर्योदय की तरह
गहरी रात के बाद भी रोशन सवेरा,
मैं सुनूँ कुछ नहीं पर जानूँ हर वजह
बांधी हुई है मैंने जीवन की गिरह

ना रहूँ मैं कहीं,पर रहूँ हर जगह...

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7 JAN 2022 AT 22:56

Make forever last a while ......

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