उस दौर की क्या बात करे,जो दौर हमारा था।
की उस दौर की क्या बात करे, जो दौर हमारा था।
एक घर ही नहीं,बल्कि पुरा गांव हमारा था।
यू हंसते –खेलते बीत गए, वो वक्त हमारे बचपन के।
वो वक्त अब न आयेंगे,जो वक्त थे हमारे सोने से।
वो गलियां भी अब सुनी हो गई,
न जाने कहा वो सारी खुशियां खो गई।
हर शाम जो बीती दोस्तों के संग,वो भी क्या खूबसूरत
नजारा था।
उस दौर की क्या बात करे जो दौर हमारा था।
–Dipakshi
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