Diksha Maan  
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Observer
Joined 10 July 2017


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Joined 10 July 2017
6 FEB 2022 AT 18:06

कुछ अंत, अंतहीन हैं।— % &

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30 JAN 2022 AT 0:18


पटाखे और स्पीकर बनाकर
हम शांती कि खोज में है।

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21 JAN 2022 AT 16:34


अभिस्वीकृति की प्रतीक्षा में जिंदगी झोंक दी
प्यार, पहचान और पुरस्कार मिला पलायन से।

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16 JAN 2022 AT 8:44

मेरे हिस्से की नींद ना सही, आसमान लौटा दो
बंद आंखों के ख़्वाब ना सही, मेरे पंख लौटा दो।

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13 JAN 2022 AT 21:59

खूबसूरती पाबंद है मुखौटों कि सलाखों में,
क्योंकि
सरलता अप्रमाणित है सुंदरता के मापों में।

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9 JAN 2022 AT 2:12

एक वक्त था दीवारों की इमारतें घर कहलाती थीं,
अब इमारतों की दीवारों में खिङकियों के धरौंदे हैं ।

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5 JAN 2022 AT 21:17

कसे हुए दिल के किवाङो से गुहार है
लोहे की सलाखों से एक नज़र ताक लें
हम पानी का समंदर बने खङे है
आये एक बार अपना अक्स झांक ले

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5 JAN 2022 AT 21:09

तितली की सुंदरता चंचल उङान में,
मनुष्य की सुंदरता सरल व्यवहार में ।

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30 DEC 2021 AT 19:30

दिखावे की दुनिया में
कपङो से हैसियत परख रहें है
पैसों से धुंधले चशमें से
कैसे आप इंसान परख रहे है?

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10 DEC 2021 AT 1:11

Understand before you BLAME.

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