दीपक चारण   (✍️Deepak charan'Bekaif')
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Joined 10 April 2018


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Joined 10 April 2018
17 JUL 2021 AT 9:13

जिंदगी में गर सुकूनियत चाहिए तो
दिल से ,फैसला लेने का हक छीन लो।

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31 OCT 2020 AT 21:35

खयाल आया की थामेंगे तनहाई का दामन
मुड़ के देखा तो बाहें फैलाए खड़ी थी।

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31 DEC 2019 AT 9:09

जरूरी नहीं की अश्क चश्मों से अपनी नुमाइश करें
कुछ दरिया जमींदोज होकर भी बहते हैं।

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30 MAR 2020 AT 17:29

आखिर
जड़ों में लौटना पड़ा उन पत्तियों को
जो अक्सर अपनी ऊंचाई को
लेकर इतराती थी।

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6 MAR 2020 AT 21:31

दिल और दिमाग की जद्दोजहद का सबब
अक्सर तुम ही रहते हो,
यह वाकया काफी नहीं है तुम्हें
अपनी अहमियत जानने का।

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23 FEB 2020 AT 18:07

हमारी फकत एक तलब,
और उनके ख्वाब हजार
सौदा बिगड़ना ही था।

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10 FEB 2020 AT 21:52

कि यह तनहा सफर
कब दो आंधियों से
मिलकर एक तूफान
में तब्दील होगा।
कब दो रूहे,
एक नये जिस्म को जन्म देंगी
कब दो परिंदे उम्मीदों की नई परवाज
भरेंगे। आखिर कब???

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7 FEB 2020 AT 9:29

बरसो अपनी मासूमियत
का दावा करने वाला,
आज संगदिली के खिताब
पर कब्जा किए बैठा है।

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31 JAN 2020 AT 9:54

अश्कों की मोहताज हो गई मेरी चश्में,
कुछ बिन बुलाए अब्र मचले तो सही।

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28 JAN 2020 AT 8:44

इन झीलों में डूबोगे,
तो गमों के मायने बदल बैठोगे।

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