dhananjai jha  
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Joined 16 March 2021


Joined 16 March 2021
24 APR AT 1:52

जिस तरह मरूस्थल में एक राहगीर प्यास की आस में मृगतृष्णा से भ्रमित हो जाता है, ठीक वैसे ही मै तुम्हे देख कर हो जाता हूं...

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16 FEB AT 7:53

उसकी याद में सुकून से, सोने से ले कर
उसकी याद में तड़प कर उठने तक का सफर, इश्क़ है...

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5 FEB AT 1:42

उसके और मेरे बीच ये प्रेम प्रसंग कैसा, संघर्ष कैसा ?

वो कोहरे में लिप्त पूस की रात जैसी, और,
मैं खेत की पगडंडी पर जल रहा दिया जैसा...

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