तन्हा थे हम, इसलिए तेरा साथ चाहते थे
गंगा किनारे बैठे, हाथों में तेरा हाथ चाहते थे
चाहते थे, तेरे कंधे पे सिर रख कर सुकून की आँहें भरना
ना सोचा था होगा, हमें बिना मिले बिछड़ना।
मैंने अपने दिल के जज्बातों को , सिर्फ़ तुम्हें ही बताया है
ऐसा कोई दिन नहीं, जब तुमने ना तड़पाया हो
फिर भी तुमसे उम्मीद थी, कि समझ जाओगी मेरे प्यार को
पर तुमने बिना सोचे इनकार किया, मेरे इज़हार को।
खैर छोड़ो इन सब बातों को, अब इन में क्या रखा है
तुमने किसी और कि नफ़रत को, मेरे लिए सज़ा रखा है
ख़ुश रहो सदा, दिल से यहीं दुआ करता हूं
चलो आज मैं तुमको, अलविदा कहता हूं।
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