Dewansh Kumar  
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If somehow you still want to read me, Instagram is the place.
'Smile'
Joined 1 June 2017


If somehow you still want to read me, Instagram is the place.
'Smile'
Joined 1 June 2017
22 SEP 2019 AT 20:34

ख़्वाब अधूरे हो सारे जिस के वो इंसान सयाने लगते हैं,
हँस लूं दो घड़ी तो सब दिल बहलाने के बहाने लगते हैं।

खाली बैठे-बैठे कांपता हूँ और कांपते-कांपते रो देता हूँ,
पोंछता हूँ आंसू खुद ही, ये हाथ अब तो बेगाने लगते हैं।

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12 AUG 2019 AT 21:47

अब कोई भी बात तुझसे कह नहीं पाता,
मेरी हर खुशी में एक मातम सा छाया है।

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3 AUG 2019 AT 13:07

बस ख़ता ये हुई कि एक पेड़ लगा दिया मैंने,
फिर उम्र भर टूटे पत्ते समेटकर रोता रहा हूँ मैं।

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23 APR 2019 AT 10:06

मिचती पलकों के पीछे एक आस बुझती नज़र आती है,
आंखें खोलूं तो पंखे पर एक लाश लटकी नज़र आती है।

समेट लिए खुद के ही भीतर आंधियाँ, तूफ़ान, बवंडर सारे,
कफ़स हो गयी छाती मेरी देखो अब फटती नज़र आती है।

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21 OCT 2020 AT 18:35

"Dear You"

(Read the letter in the CAPTION)

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3 JUL 2020 AT 11:07

लोग फेंकते रहे पत्थर पानी में
और मैं अक्स अपना देखता रहा

उथल-पुथल हो गयी दुनिया मेरी
उम्र भर ये सोचकर बिलखता रहा

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18 MAY 2020 AT 18:31

"Dear You"

(Read the letter in the CAPTION)

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18 FEB 2020 AT 14:47

"Dear You"

(Read the letter in the CAPTION)

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17 JAN 2020 AT 18:45

Q. Why the JNU is protesting against the fee hike?

(Read in the CAPTION)

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4 JAN 2020 AT 14:18

"सब चंगा सी!"

(कहानी अनुशीर्षक में पढ़ें)

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