तरुणाई छाई पेड़ों पर
कोयल ने गीत मधुर गाया,
मलय पवन के झोंके से
उसका आँचल लहराया...
जब उसका आँचल लहराया
तब हृदय में मेरे हिलोर हुई ,
देखा उसको नयन उठाकर
तो उसकी आँखें चोर हुईं...
हौले से फिर पलकें उठीं ,
पलकों से आंँखो ने झाँका,
जब पलकों से आँखें झाँकीं
खिल-खिल के किसलय कपोल हुई
और प्रेम वर्षा हर ओर हुई...
जब प्रेम वर्षा चहुंँ ओर हुई
तब अधरों पर मुस्कान आई,
गालों पर लाली भी छाई
वो हौले - हौले शरमाई...
प्रकृति प्रेम में सराबोर हुई...
फिर.... फिर ,
टूटा स्वप्न और भोर हुई...!!
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