Deepti Raj   (Deepti Raj)
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Libra ♎
Joined 14 February 2020


Libra ♎
Joined 14 February 2020
26 FEB AT 21:45

लोग जाते होंगे for aesthetics to Agra,
तुम तो संग मेरे बनारस ही चलना...
लोग for adrenaline rush करते होंगे rafting,
तुम तो संग मेरे गंगा में डुबकी लगाना...
लोग करते होंगे share happy moments,
तुम तो संग मेरे अपने आंसुओं को भी बांधना...
लोग करते होंगे thousands of promises,
तुम तो उम्र भर संग चलने का वादा ही करना...
लोग fulfill करते होंगे मांगें सारी,
तुम तो इस संग मेरी मांग भी भरना...
लोग believe करते होंगे in situationships,
पर तुम तो संग मेरे प्रेम रंग में ही रंगना...

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31 JUL 2023 AT 18:27

बावरा सा मन क्या जाने...
समझे कैसे वो संधि मेरी...
रोक रखा था ख्यालों को...
ना जाने फिर फिसलकर कैसे...
तफ़्ककुर पे तेरे रुक सा गया...
ज़हन में रोका तो ना था तुझको...
जाने तब भी तू कैसे घर कर गया...
तू तो है ही परछाई सा...
नजदीकियों में भी, अभिगम से दूर सा...
बस में यूं तो करना था हृदय को...
ना जाने वश में तेरे ये कब हो गया...
ना जाने तेरी मुस्कान से कत्ल कब हो गया...
ना जाने तेरे नैनों का शिकार कब हो गया...
ना जाने तेरी अदाओं की गुलाम कब हो गया...

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17 NOV 2022 AT 15:07

एक सुबह फिर आना...
वो बातें कभी तुम फ़िर दोहराना...
राज़ सारे मुझको फ़िर बतलाना...
बातें तुम्हारी मुस्कुराहट तो आज भी लाती हैं...
यूं बेरुखी से फ़िर ना जाना...
ख्वाबों से निकलकर अब तुम हकीकत में आना...
आंखें मूंद कर चल लूंगा साथ तुम्हारे...
पलट कर एक टक तो निहारना...
अपनी अदाओं से मेरी धड़कनों को तुम ना बढ़ाना...
दो कदम बढ़कर मेरे हाथों को भी कभी थामना...
एक सुबह तुम फिर आना...
वो बातें कभी तुम फ़िर दोहराना...

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6 AUG 2022 AT 6:34

कभी धूप-सी, कभी छांव-सी...
तो कभी जैसे अंगार सी...
तू बस थोड़ी खूब ही नहीं...
पर बेहद खूबसूरत-सी...
यादों ने तेरी फ़िर कुछ शिरकत की है...
साथ बिताए लम्हातों ने फ़िर दस्तक दी है...

कुछ सुध तो होगी तुझे भी...
कभी मंदिर, तो कभी बगीचे घूमना...
यूं एक बार एतेफाक से मिलकर...
फ़िर रोज़ साथ रहना...

याद है, कभी बंक कर...
तो कभी यूंही बातें हज़ार करना...
कभी क्लासेज़ तो कभी झूले...
मानो बस हम ना हमारे दिल भी थे मिले...

दास्तां सारे तो शायद बयां कर भी दूं...
पर जज्बातों को उकेरने के शब्द कहां ढूंढू...
यादों में तू अब भी उतनी ही जीवांत-सी है...
मानो ये सारी कल की हीं बात-सी है...

शायद कभी मिलने के और बहाने मिल जाएं...
साथ तेरे कुछ और अफसाने बन जाएं...
तू मेरी बस दोस्त ही नहीं थी ब नी...
तू तो थी और रहेगी हमेशा मेरी सखी💕

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4 AUG 2022 AT 5:38

चाहत नहीं, ज़रूरत-सी तू...
ख्वाहिश ही नहीं, हर इबादत में तू...

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27 MAY 2022 AT 9:50

कुछ इंतजार और कर लेता हूं...
कुछ नगमे और लिख लेता हूं...
जानता हूं सांझ तलक तो तू जरूर आएगी...
फिर शिकवे सारे हजार सुनाएंगी...
परिकल्पनाएं तो खुद ही रोज बनाती है...
फिर व्यस्तता की बातें कर सब टाल देती है...
ये जो तू मुझे नज़रंदाज़ करती है...
फिर 'यही मेरा अंदाज़' कह हंसती है...
शायद तेरी यही अदाएं मुझे थोड़ा और दीवाना बनाती हैं...
शायद तेरी यही बातें मेरी यादों को ज़रा और उकसाती हैं...
आज़ फिर ज़रा देर हो गई है तुझसे...
मिलने अब तलक ना आई है तू मुझसे...
अंधियारे ने भी अब कुछ दस्तक सी कर दी है...
पर साया तेरा अब भी कुछ धूमिल ही है...
ख़ैर! कुछ और इंतज़ार कर लेता हूं...
कुछ नगमे और लिख लेता हूं...

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22 APR 2022 AT 15:14

काश बिन बोले जज़्बातों को...
कोई थोड़ा समझ पाता...
काश इस मुस्कान के पीछे...
कोई थोड़े अश्रु देख पाता...
काश अंधियारों में बिन कहे...
कोई थोड़ा और रुक-सा जाता...

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13 APR 2022 AT 6:53

तू भी तो कुछ चांद-सा है...
दिखता तो रोज़ ही है..
पर फिर भी कोसों दूर है।।

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5 APR 2022 AT 22:17

लोगों के बीच तो मैं कहानियां हज़ार सुना लेता हूं,
पर पास तुम्हारे आते ही;
मैं अल्फाज़ सारे भूल जाता हूं।
सोचता हूं कभी गुफ्तगू के बहाने,
बातें सारी कह दूं,
पर तुमसे मिलते ही विचार सारे भूल जाता हूं।
कभी मनन कर,
सब, कुछ पन्नों पर उकेरना चाहता हूं;
पर तुम्हारे तफक्कुर पर वो भी तो भूल जाता हूं।

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16 MAR 2022 AT 8:20

सांसें चलती गईं... दामन बिछड़ता गया...
ना जाने साथ उनका कैसे छूटता गया...
लेकर जो वो आई थी रोशनी...
ना जाने कैसे अंधेरा पसरता गया...
सोचा उनको रोक लूं कुछ भी कर...
पर ज़बर भी करना तो बस उन्हें ही आता था...
ना जाने किस खता पे नाराज़ हुई वो...
ना जाने किस बात पे बेवफ़ा हुई वो...
मुस्कुरा कर, साथ रहने के वादे भी तो उन्होंने ही थे किए...
ना जाने फिर अश्क ये सारे क्यों दिएं...
ख्वाहिशें तो सारी उन्होंने ही बुनने थे सिखाएं...
फ़िर ना जाने सपने तोड़ वो क्यों चले गए...
बातों से उनके आज भी रू-ब-रू होता हूं...
कि ख्वाबों में अब भी उनको ही साथ पाता हूं...

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