Deepti Aggarwal   (दीp)
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Joined 30 July 2018


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Joined 30 July 2018
YESTERDAY AT 7:30

प्रथम नमन माता-पिता,जन्म दिया उपकार।
सिखलाया सद आचरण ,उत्तम जग व्यवहार।।

स्वीकारो मेरा नमन,प्रथम पूज्य भगवान।
कृपा दृष्टि बरसाइये, छंदों का दो ज्ञान।।

जय हो हे माँ शारदे,दूर करो अज्ञान।
वरद हस्त सिर पर रखो,दो विद्या का दान।।

नमन योग्य गुरुदेव हैं,देते विद्या ज्ञान।
विद्या से ही प्राप्त हो,इस जग में सम्मान।।

धरती माँ को है नमन,जीवन देतीं आप।
काट वृक्ष दोहन करें, लगे मनुज को श्राप।।

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23 APR AT 20:21

एक कहानी सी कहें,दुनिया भर के रंग।
समझें इनकी बात को,चल कर इनके संग।।

धवल रंग इंगित करे,शीतलता की ओर।
सरल शांत मन को रखें,चन्द्र रजत अरु भोर।।

खुशहाली दिखला रहा,हरियाली के संग।
हरा रंग मनहर लगे,करे उदासी भंग।।

है प्रतिनिधि विस्तार का,नीला है जो रंग।
सागर भी विस्मित करे  ,नभ भी करता दंग।।

सदा सकारात्मक रखे,पीत वर्ण    की शक्ति।
पहनाएँ भगवान को,उदित करे मन भक्ति।।

ऊर्जा और उत्तेजना,दर्शाता है लाल।
क्रोध शौर्य सौभाग्य है,लज्जा रंग दे गाल।।

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23 APR AT 20:13

जो भी जितना भी जिस तरह भी है
जिससे है राबता वो तू ही है


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10 APR AT 9:54

कृपा करो माता रानी,चरणों में शीश नवाती हूँ।
आज पधारो मेरे घर ,मैं मन से तुम्हें बुलाती हूँ।।
सजा लिया सुंदर मन्दिर,अब घी की जोत जलाती हूँ।
आओ सिंह सवारी पर,मैं भजन आप के गाती हूँ।
दैत्यों का है दमन किया,देवों को दिया सहारा है।
तुमने बलशाली माता, इस जग को सदा उबारा है।
दयाशील माँ दुख हरनी,सुख भक्तों पर  बरसाती है।
दिल से उन्हें पुकारो तो,माँ दौड़ी-दौड़ी आती है।।


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6 APR AT 16:47

वर्ष नव आरंभ होगा,चैत्र का शुभ मास है।
है परम पावन महीना,देश में विश्वास है।।
भक्ति संयम चैत्र में हो,पर्व शुभ आते रहे।
माँ भवानी को मनाते,राम-धुन गाते रहे।।

प्रतिपदा पर घट रखें हम,मात का पूजन करें।
शुद्ध मन उपवास रख लें,भक्ति से यह मन भरें।।
पूजते नौ देवियों को,नित्य श्रद्धा भक्ति से।
दें खुशी वरदान में माँ, भक्त को निज शक्ति से।।

शुक्ल नवमी को मनाते,राम जन्मोत्सव सभी।
पूजिये मन भावना से,कष्ट मिट जाएँ अभी।।
पूर्णिमा हनुमान जी का,अवतरण हम मानते।
देव की महिमा अनूठी,सब मनुज ही जानते।।

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3 APR AT 16:33

पूछती है आज की माँ, परवरिश कैसे करूँ।
हठ बहुत बच्चे करें सब,धैर्य मैं क्योंकर धरूँ।।
पालना दो-एक बच्चा ,क्यों कठिन इतना हुआ।
सोच कर अचरज करें हम,है समस्या बन छुआ।।

एक तो अब साथ रहना,चाहते अक्सर नहीं।
और कुछ मज़बूर यूँ हैं ,नौकरी लगती कहीं।।
हैं अकेले और अनुभव,कुछ नहीं माँ बाप को।
एक केवल है सहारा, नौकरों का आपको।।

आप अपने ही बड़ों की ,जब करो अवहेलना।
किस तरह बच्चे समझ लें,है सरल सब झेलना।।
धैर्य संयम किस तरह वो,सीख पाएँगे कहो।
आप बच्चों के लिए ही,संग अपनों के रहो।।

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31 MAR AT 23:15

दीप उजाला बाँट,कर्म यह ही है तेरा।
दिखा हमेशा राह,दूर कर सदा अँधेरा।।
मन आशा का दीप, यही कहता है मेरा।
तिमिर भले हो घोर,रुकेगा नहीं सवेरा।।

फैला ज्ञान प्रकाश,करो जागृत जन-जन को।
विद्या धन अनमोल,लगा लो इसमें मन को।।
जितना बाँटो आप,अधिक यह धन है बढ़ता।
बनती बुद्धि कुशाग्र,मनुज जितना है पढ़ता।।

रोला छंद

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27 MAR AT 15:19

खिले गुलाब की रंगत मुझे लुभाती है
कली में आज तलक़ वो निखार देखा नहीं

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23 MAR AT 20:06

बिटिया बोली,है मति डोली,मात सुनो।
जल्दी शादी ,है बर्बादी,नहीं चुनो।।
पहले पढ़ना,आगे बढ़ना,ध्येय रहे।
करें परिश्रम,मिल कर तुम हम,अब न सहे।।

बेटी सुन लो,सपने बुन लो,कुछ न कहूँ।
कोई टोके ,तुमको रोके,  मैं न सहूँ।।
तुम हो सक्षम,करती हो श्रम, ओ मुनिया।
मान गई है,जान गई है,यह दुनिया।।

(रास छंद)

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14 MAR AT 9:03

मस्तानों की आई टोली,आ कर चिल्लाई 'है होली'।
मैं भी थोड़ा चिढ़ कर बोली,समझो मत मुझको तुम भोली।।
अभी-अभी फागुन है आया,क्यों तुमने यूँ शोर मचाया।
करूँ परीक्षा की तैयारी,समझो तुम मेरी लाचारी।।
बनूँ सफल मेरी अभिलाषा,मात-पिता भी रखते आशा।
बाद परीक्षा के हमजोली,खूब करेंगे हँसी ठिठोली।।
पिचकारी का खेल करेंगे,उसमें पक्का रंग भरेंगे।
मारेंगे हम यूँ गुब्बारे,अच्छे अच्छे हम से हारे।।
भाँग पकौड़े मन भाएँगे ,लड्डू गुजिया भी खाएँगे।
रंग बिरंगी होगी टोली,खूब मनाएँगे हम होली।।
दीप्ति अग्रवाल


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