बात बहुत पुरानी है।मेरे लिए बहुत खास है।
उस दिन मेरा जन्मदिन।शायद किसी को याद ना था।
मैं भी थोड़ी उदास थी। क्योंकि जन्मदिन किसी को याद ना था। सुबह से हो गई थी दोपहर।
किसी के मुख पर ना थी कोई हलचल।
मन में दुख गहराया था।
लगा कि, शायद सब ने,
मुझको भुलाया था।
तभी किसी ने दरवाजे पर,
दी थी जोर की दस्तक।
मैं तो लेटी थी उदास।
नहीं था कोई मतलब।
तभी मांँ ने आवाज लगाई।
नीचे कमरे से ले आओगी चटाई।
मैंने जाकर कमरा खोला,
उसमें बहुत अंधेरा था।
जैसे ही मैंने किया उजाला।
सब ने मुझको घेरा था।
बहन भाई और माता-पिता ने।
सुबह से की थीं बहुत तैयारी।
इतना बड़ा उपहार पाकर।
मन मेरा हर्षाया था।
बहुत ही प्यारा था व जन्मदिन।
जिसे मन आज तक भूल ना पाया है.
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