उसकी चाहत में मैं इस कदर परवाना हो गया, जैसे इश्क़ में अनकहा कोई अफसाना हो गया, जमाने की बंदिशे तोड़कर रखती है ख्याल मेरा मैं उसकी इसी दीवानगी का दीवाना हो गया।
आदतें मेरी बिगाड़ दी है उसने, मेरी हर आह पर आंसू बहाया है उसने, हर रोज सीने से लगाकर सुलाया है उसने और मुझे देखकर रास्ता बदल लिया आज इस कदर भुलाया है उसने।
कागज कलम सा रिश्ता है अपना एक के बिना दूसरे का कोई मोल नहीं, खरीदना चाहे अगर मोहब्बत अपनी तो आजमा कर देख ले, जहा बिकता हो इश्क़ सच्चा बाजार में ऐसा कोई मॉल नहीं।
प्यार के बिना सब सुना लगता है, ज़िन्दगी का हर किस्सा वीराना लगता है, किन शब्दों से बया करू प्यार की ताकत को जुड़ जाए अगर रिश्ता रुह से तो पत्थर भी सोना लगता है।
जहा से चले थे वहीं आ गए है हम, सुकून को अलावा सबकुछ ले आए है हम, महसूस हो रहा है जकड़ लिया जिम्मेदारियों ने हमको जिंदगी की तलाश में जिंदगी से बड़ी दूर आ गए हैं हम
अपने जख्म अब किसको दिखाऊं मैं, हो इज़ाजत तो तेरी बाहों में आ जाऊ मैं, जमाना देखकर हालत मेरी निगाहें फेर लेता है अपना बना रहे हो, या खुदा का हो जाऊ मैं।
आंखो ही आंखो मे एक इशारा हो गया, तेरी तलाश में दिल आवारा हो गया, तेरी रूह की चाहत ने इस कदर दीवाना कर दिया है मुझको अब तेरी दीवानगी ने पागल कर दिया है मुझको।