जो कुछ भी होता है,मिलता है तकदीर से ही, संग है तो नहीं, यूं जिन्दा है इश्क जमीर से ही। तमन्ना होंठों की अपने,आखिर कर दी पूरी मैंने, चूमा तेरे होंठों को मैंने फिर तेरी तस्वीर से ही।।
नाराजगी से अपनी यूं खुशियां मरोड़ो नहीं, तमन्नाओं को मेरी ऐसे तो झकझोड़ो नहीं। ये समाँ,आसमाँ खफा हो जायेगा,दिल कहां, जायेगा,अपनी बाहों को यूं सिकोड़ो नहीं ।।
अभी बाकी है काम,काम मैंने आधा किया, मिलूंगा नहीं किसी से कभी ये इरादा किया। “मंजिल तू मेरी रहेगी,प्रतीक्षा तो तेरी रहेगी”, देके गुलाब मैंने उसको,सिंदूर का वादा किया।।
रुकी गाड़ी को फिर से एक्सीलरेट कर दिया, गुस्से को उसके,तुरंत उससे सेपरेट कर दिया। मनाए अशार से,तो निकले अंगार जुबान से फिर देके मैंने चॉकलेट,उसे चॉकलेट कर दिया।।
लगता है उसको मैं उसे छेड़ और सता रहा हूं वो जताने तो देती नहीं,फिर भी जता रहा हूं जान करके भी सबकुछ तुम अंजान बन रही हा,तुमसे बेइंतहा है मोहब्बत, लो बता रहा हूं
मधुशाला को तोहफ़े में शराब क्या दें हम, खुद नायाब है जो उसे,चीज नायाब क्या दें हम। कोमलता से भरी,मानो वो गुलाब का बगीचा, बगीचे को अब तोहफे एक गुलाब क्या दें हम ।।