Deepak Kanoujia   (दीपक कनौजिया...प्राधुनिक)
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Joined 19 January 2019


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Joined 19 January 2019
18 APR AT 23:51

प्रेम का क्या है !
मरे हुए लोगों से भी हो जाता है— % &प्रेम का क्या है !
मरे हुए लोगों के साथ मर थोड़ी जाता है...— % &

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16 APR AT 0:01

तुम में बसता है
मंदिर खजुराहो का
तुम विषय ध्यान का
तुम विषय भोग का
तुम विषय संलग्नता का
तुम शुद्ध मिलन
तुम पूर्ण आकर्षण...

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14 APR AT 23:09

जो लोग ये जान पाये
कि केवल प्रेम ही विषय नहीं हर्ष का
और
विषाद के और भी बड़े कारण हैं प्रेम के अलावा,
वही लोग जान पाये
प्रेम की अमूर्तता को...

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14 APR AT 15:47

ऐ घुंघराले बालों वाले लड़के !
तुम्हें पता है !
तुम्हारा संग
एक मद्धम चलती साइकल है...

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13 APR AT 22:12

तुम ही वह भविष्यवाणी हो
जिसे शायद कभी भूत में सुना था
जिसे अभी वर्तमान में
सभी दिशाओं में सुनता हूँ...

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13 APR AT 20:37

पिता के प्रेम का क्या है !
यूँ ही पसीने संग मिल
कहीं बह जायेगा...

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13 APR AT 0:39

तुम्हें अब तक सहेज कर रखना
शायद अब तक की मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है...

{कैप्शन...}

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12 APR AT 23:27

अये बड़ी आँखों वाले लड़के !
सबसे नज़र छुपाकर
तुम्हें चूम लेना किसी यज्ञ आहुति सा पवित्र लगता है...

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10 APR AT 23:38

मदहोश सुफ़ैद कमीज अमर अजर मौसिकी
है ये तुम्हारी, है ये गजरा तुम्हारा,
इन रंगों में घुले नशे से इन फूलों की खुशबुओं से तो ना थी वाकिफ़ ना थी पहले दिल्लगी मेरी... पहले आशिकी मेरी...

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10 APR AT 16:35

तुम ही मैं पूरी खुदा का घर
वो शहर मुझमें, जिसका मौलाना तू
जिसका हर मकां मालिक तू...
तेरा है...

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