अब दुनिया बदल रही हैं,
दुनिया के लोग बदल रहे है,
और लोगो की सोच बदल रही हैं,
जिन्होंने जन्म दिया उनको छोड़ कर लोग,
मंदिर-मस्जिद में जाते हैं, सुख की प्राप्ति के लिए,
ए-इंसान जरा शर्म कर, शर्म न आये तो जरा सी रहम कर,
जिसने तुझे पाला पोसा, तु उसी का त्याग कर रहा,
ख़ुद दुखों का बोझ ढ़ोते-ढ़ोते उन्होंने तेरी सारी ख्वाहिशें पूरी की,
अपने दुख-दर्द को तुझसे ऐसे छिपा के रखा ,
जैसे रखता हो कोई सोना-चाँदी,
बचपन से तेरे जवानी तक हमेशा साथ खड़ा रहा,
तेरे हर सुख दुख में,
जिन्होंने ने तुम्हें इस दुनिया में लाया,
अब तुम उन्हें ही अकेला छोड़ कर,
जी रहे हो अपनी नई दुनिया में,
एक बात हमेशा याद रखना मित्र,
हवा और आपकी जिंदगी के पल, एक जैसे होते हैं,
जो कभी भी बदल सकते हैं.....!
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