थक जाता हूँ जिंदगी से लड़ते-लड़ते लेकिन हार मानता नहीं, मात देतीं हैं मेरी चाहतें मुझें लेकिन हिम्मत हारता नहीं, आखों में रखें हे अश्रू मेरे लेकिन रोता नहीं, जकड़ा हुआ हूँ खवाईसों की बेडीयों में लेकिन मैं उन्हें तोड़ता नहीं, यों तो घायल हूँ मैं भी लेकिन जीने की जुनूनियत खत्म होती नहीं, खड़ा हूँ अकेले अपने रास्तों पर मैं लेकिन तन्हाइयों को हावी होने देता नहीं, जान कर भी अनजान बनता हूँ मैं कभी-कभी लेकिन इंसानियत छोड़ता नहीं।
आखों को बंद कर इश्वर को याद करें। अपने और पूरी धरतीवासीयों के लिए प्रार्थना करें। प्रभु से ये जंग लड़ने के लिये मानसिक एंव शारीरिक शक्ती मांगे। जो आत्माएं अपना शरीर छोड़ चली गयीं हैं उनकी सुख और समृध्दि की प्रार्थना करें। समस्त देशवासियों को ये बतायें की हम साथ हैं।