Deeksha Ravindra Adiga   (An Orderly Mess ♥️)
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Joined 9 December 2016


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14 OCT AT 22:55

ಇವರಿಗೆ ಇವರ ತಾಯಿ ಹೆಚ್ಚಾದರೆ,
ಇನ್ನೊಬ್ಬರಿಗೆ ಅವರ ತಂದೆಯು ಅಷ್ಟೇ ದೊಡ್ಡವರು.

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14 OCT AT 22:53

ವಿಪರ್ಯಾಸ ಎಂದರೆ,
ಅವರ ತಾಯಿಗೆ ನಾವು ಕೊಡೋದು ಚಿತ್ರಹಿಂಸೆ ಅಂತೆ ಆದರೆ
ಇನ್ನೊಬ್ಬರ ತಂದೆಗೆ ಇವರು ತೋರಿದ್ದು ಕಾಳಜಿ ಅಂತೆ.
ಅದೇ ಮನುಷ್ಯ ಸಾವು ಬದುಕಿನ ನಡುವೆ ಹೋರಾಟ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದಾಗ ಯಾರು ಬಂದಿಲ್ಲ,
ಆದರೆ ಈಗ ಎಲ್ಲರಿಗೆ ಆ ಹೋದ ಜೀವದ ಕಾಳಜಿ ಹೆಚ್ಚಾಗಿದೆ.
ಬಹುಶಃ ಅವರು ಇದ್ದಿದ್ದರೆ ಈ ಕಾಳಜಿ ನೋಡಿ
ಖುಷಿ ಪಡುತ್ತಿದ್ದರು ಇಲ್ಲವೋ ನನಗೆ ಗೊತ್ತಿಲ್ಲ,
ಆದರೆ ಈಗ ಅಲ್ಲಿ ನೋವಲ್ಲಿ ಕೂತಿರುತ್ತಾರೆ ಅದು ಖಚಿತ.

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14 OCT AT 22:43

ಶಾಂತವಾಗಿದ್ದರೆ ಅವಳು ದುರ್ಗೆ, ಇಲ್ಲದಿದ್ದರೆ ಕಾಳಿ.

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26 SEP AT 7:28

लोगों की इज़्ज़त को।
बाज़ार में बैठे होते हैं
कई भेड़िए इंसानी भेस में
ताकते रहते है मौका
मज़ाक उड़ाने के लिए
दूसरों के ग़म का।

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25 SEP AT 15:22

My tea partner, I miss having tea with you.

(Caption)

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19 SEP AT 11:15

And you know what
When the whole world gives upon you,
when your relatives leave you,
when things don't go as planned,
when everything seems dark and blank
when you are just seamlessly walking
in the darkness and dragged into the abyss
a small ray of hope, a slight space for Sunshine
finally find its way into the madness.
God finally shows that he still exists
in disguise of some angels whom we call "friends"

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9 SEP AT 11:45

ख़ामोशी को अक्सर गलत समझा जाता है
एक इंसान के चुप्पी के पीछे हज़ार बातें दबी है।
ख़ामोश है इसका ये मतलब नहीं कि
सामने वाला सही है और हम ग़लत
बल्कि इसका ये मतलब होता कि
हम अपने मन की शांति को
लड़ झगड़ कर खराब नहीं करना चाहते।
लेकिन बातें जब बाहर आयेंगी
तब एक भयानक तूफ़ान आएगा
जो सब डुबा ले जाएगा अपने साथ।

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अहंकार बर्बादी लाया है हर बार
अहंकार ने रिश्तों की बलि ली है हमेशा।
अहंकार एक अंधकार है जो सब को
ले। डूबता है अपने साथ।
अहंकार ज्वाला है, तूफ़ान है जो
रिश्तों की कदर नहीं करता।
बेशक़ अहंकारी इंसान जीत जाए आज
लेकिन वो सब कुछ हार जाता है हमेशा के लिए।

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3 SEP AT 23:11

न जाने क्यों ऐसा लगता है कि
किसी से कुछ बोलना ही नहीं चाहिए।
किसी से अपना ग़म, दुःख बांटना ही नहीं चाहिए।
कभी-कभी हमारे अपने ही हमारी बातों को
हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर देते हैं।
किसी का गुस्सा किसी और पे निकाल देते है
और ऐसे पेश आते हैं कि ग़लती हमारी है।

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3 SEP AT 23:07

बिना किसी के गलती के
उन्हें सज़ा देना कितना सही है?
बिना उन्हें उनकी गलती का एहसास दिलाए
क्या उनसे बात करना लाज़मी है?

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