Decent   (Dr.Supreet G Singh)
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Joined 19 February 2018


Joined 19 February 2018
20 HOURS AGO

आंखें ही बयान करती हैं हाल-ए-दिल को
दिल की ख़वाइशें लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं
दिल की आवाज़ रूह से सुनी जाती है
मिलने की तलब हो यार को, पलकों का
चिलमन उठ कर झुकना ही देता है आवाज़ यही

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30 APR AT 21:43

बहुत पाया पर बहुत कुछ छूट गया
जो छूट गया उसको पाने की जिद्द-ओ-जहद में जो पाया वो रूठ गया
ना पता चला ज़िन्दगी का सफ़र कब हुआ शुरू कब सांसों का दामन साथ छोड़ गया
ऐसी ही है ज़िन्दगी जो मिला उतना काफी ना था जो ना मिला वो उसका मिलना कबूल ना हुआ

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29 APR AT 17:20

कोई मिला था बरसों बाद
अपना सा लगा था बरसों बाद
दिल को छुआ था बरसों बाद
मिलते ही लगा था अपना सा
पहले लगा इक सपना सा
फिर करीब होता गया
प्यारा सा सहारा बनता गया
क्यों लगा वो अपना सा
पूरा हुआ इक सपना सा
अब वो रूह तलक खास है
दिल को आगाज़ है
डरता हूं दूर ना हो जाए
कहीं इस खिलती दुनियां को फिर वीराना ना कर जाए

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28 APR AT 22:04

You spread happiness and joy everywhere you go.
You are a symbol of friendship.
Your aura brings everyone together. 
Your bright and wonderful personality filled everyone's life with positivity. 
You are a lucky charm.
You are a blessed person who rejuvenates the world around you.

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27 APR AT 15:34

छोड़ कर नहीं जाते अपनों को
खफा हो जाएं वो तो मना लेते हैं
गलती हमसे ही हुई होगी ज़रूर
ये समझ कर ख़ुद को सज़ा दे देते हैं
रूठना उनका कम नहीं फौत्गी से
अपने लहू का हर कतरा बहा देंगे
उनकी रुसवाई नहीं बरदाश्त हम को
वो हुए दूर तो अपनी हस्ती अपने हाथों मिटा देंगे

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26 APR AT 22:15

बताते हैं बहुत पर वो समझते नहीं
जो समझते तो यूं करते नहीं
अपने दर्द को यूं छुपाया करते नहीं
बात होती कितनी भी लेकिन यूं हस के दरकिनार करते नहीं
समझ बैठे हैं वो मेरी मोहब्बत को सीमित
पर उनके लिए हमारी मोहब्बत की सीमा नहीं
हैं थोड़े मसरूफ हम
पर अपनी जान के लिए बेपरवाह तो बिल्कुल नहीं

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26 APR AT 22:03

ये परी है यां है अप्सरा
किसी को पता चले तो ज़रा बता दो यारा
मासूमियत से भरी है
दिल में प्रेम की खुशबू मोहब्बत के साथ रची है
खूबी सब है बस दिखावा नहीं है
इसमें जैसे ख़ुद ही बैठा है जीवन देने वाला
मरते को भी छू ले तो प्राण फूंक दे ऐसी है ये बाला
ना कोई लोभ ना कोई ईशा की ज्वाला
स्नेह से सराबोर है ये मधुबाला

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25 APR AT 23:04

ये जीवन आब-ए-रवाँ है
मिल जाएगा उसमे जिसने जीवन दिया है
ये पानी, ये मिट्टी, ये जलते अंगारे, ये हवा के धारे
बना है जिस से उसी से ख़ुद को बचाते
काटे ये ज़िन्दगी अपनी बनाई चीज़ों के सहारे
लेता है नाम खुदा का गिन गिन के तस्बी के सहारे
होता है खुश दूसरे बुतों को दिखा के
नहीं जाने खुद को ना जाने खुदाई
ना जाने उसको जिसने कायनात बनाई
कर के ज़िन्दगी ज़ाया मिलता उन्ही में
जिनसे बचने को महल हैं बनाए

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25 APR AT 14:09

संभाला था दिल को सिर्फ़ तुम्हारे लिए दुनियां की नज़रों से बचा
अब सजा लो अपने प्यार की अंगूठी में नगीने की तरह

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25 APR AT 11:41

भी अजीब हैं
कैसे ले आती ये इतने करीब हैं
सोचा ना था कभी यूं मिल जाओगे
मिलते मिलते यूं हमसफ़र बन जाओगे
जुड़ गए हो साथ ऐसे दिया और बाती जैसे
आता नहीं सुकून जब पल भी दूर हो जाते हो
गुफ्तगू के बहाने ही सही करीब नज़र आते हो
माना अभी थोड़ी दूरी है दर्मियां
मगर ये फांसला नहीं हमेशां का
कुछ दिन का है बीत जायेगा
हमारे मिलन का दिन भी जल्द ही आयेगा

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