जानना चाहते हो क्या खास है दोस्ती में,
मुझे पहचानती है दोस्ती...
जहाँ बुरे वक़्त में अपने भी मुँह फेर लेते है,
वहाँ गले लगाना जानती है दोस्ती..
जहाँ मुझे डाँट कर मुझसे मेरी गलती मनवाना जानती है ,
वहाँ मेरी जुबाँ पे झूठ होने पर,
आँखों से सच पड़ जाना भी जानती है दोस्ती..
जहाँ बिखरे हुए काँच से दूर भागती है दुनियाँ,
वहाँ उस बिखरे काँच को समेटना जानती है दोस्ती...
मुझे मुझसे नाराज़ नही रहने देती,
क्योंकि रूठी हुई जिंदगी को भी
मनाना जानती है ये दोस्ती...
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