तेरे बुरे वक़्त को जो बदलने आएगा तेरा आइना ही उसे तेरे सामने लाएगा बस रख भरोसा ख़ुद पर तेरा भरोसा तो ये आसमान भी झुकायेगा तेरा आइना ही उसे तेरे सामने लाएगा
इतवार पर ऐतबार मैं हर इतवार करता हूँ हर बार धोखा खाता हूँ पर बार बार करता हूँ पुरे हफ्ते की थकन से मैं एक दिन तो चैन पाउँगा पर किसे पता था घर की जिम्मेदारिओ मे उलझ जाऊंगा फिर हर दिन की तरह ही इतवार भी गुज़रता है आदमी के हिस्से मे आराम कहाँ मिलता है
मन चंचल है ये दौड़ेगा ये उड़ेगा किसी ऊँची डगर पर चढ़ेगा ग़र तू चाहे इसे संभालना तो तेरे सँभालने से ही संभलेगा मन से विनाश है मन से ही समाधान पर इसको कैसे चलाना है इसका केवल तुझको ज्ञान मन के बस मे ग़र तू आ जाए तो हानि तेरी निश्चित है मन को बस मे तू जो करले तो हार मे भी तेरी जीत है
जनवरी ख़्वाहिशे जगाती है और दिसम्बर जज़्बात जनवरी सपने दिखाती है और दिसम्बर औकात बारह महीने गुज़रते है रोज नई उम्मीदो के तले फिर जनवरी के अरमाँ सारे ख़त्म दिसम्बर के साथ