चाँद तुझसे मुझे शिकायत है ......
जब नज़र नहीं आता मेरा चाँद ......
तू क्यों नज़र आता है ......
चाँद तुझसे मुझे शिकायत है ......
क्यों करती है चाँदनी तुझसे इतनी मोहब्बत ......
जब कि तुझमे भी तो दाग़ है .......
क्यों रहता है इंतजार तेरे आने का ......
क्यों तुझसे इतना प्यार है ......
क्यों नहीं होती तुझसे चाँदनी की मोहब्बत कम ......
एक बराबर जैसे .....कैसे पहले दिन जैसा प्यार है ......
हर बार हो जाता हूँ खामोश देख कर रौशनी तेरी ......
जाकर रूह तक उसकी .....
कैसे तू आज भी इतना बेक़रार है ..........!!!!!!!
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