तुम्हारे दुल्हन होते ही, सब ख़ामोश है तुम प्रेमिका थी ये बात सबको खबर थी हर चाय की तुम चर्चा थी तुम्हारा दूल्हा ही तुम्हारी ख़बर पी गया उसे अब इस बात की डर नहीं, जिस बात की पहले डर थी
मोहब्ब्त विचारण की प्रक्रिया होती है जिसमें इंसान इस बात का संज्ञान लेता है कि, किसी प्रकार का संबंध बनता है या नहीं उसके बाद इंसान या तो दोषसिद्धि होता है या बरी बरी हुआ तो आशिक दोषसिद्धि हुआ तो सजाए दुल्हा बन जाता है ।।।।