Chandra kanta Jain  
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Joined 11 November 2019


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Joined 11 November 2019
4 HOURS AGO

दिन गुजरा फिर महकती शाम आई,
दिल धड़का फिर हमें तेरी याद आई,
महसूस किया हमने उस हवा में तुझे,
मुझे छूने जो हवा तुझे छूकर आई।

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10 HOURS AGO

तब फूल गई मेरी काया ऊपर से चमड़ी खिंचवाई।
सिलबट्टे में मुझको पीसा तब पिट्ठी कहकर बतलाई।

हम "बड़े" बने कुछ दुख सह के पूछो ना तुम घबराओगे।
सुनते ही तुम रो दोगे और साथ मुझे भी रुलाओगे।

फिर तेल की गर्म कढ़ाई में मुझको रह-रह कर तड़पाया
मैं खूब नाचा और खूब हंँसा यहां तक कि पेट फूल आया।

तब झट सोचा हलवाई ने कमबख्त ना कच्चा रह जाए।
तकुऐ से पेट छेद डाला नहीं दर्द किसी को कर जाए।

रे उड़द मूर्ख अब क्यों चुप है मेरी कितनी दुर्दशा हुई,
ऊपर से नमक मिर्च छिड़का और डाला मुझ पर खूब दही।

फिर क्या था बूढ़े बालक का दिल मेरे ऊपर ललचाया।
इतना दुख सहकर मैंने भी बड़ा नाम ज्यों त्यों कर पाया।

अभी तू क्या कुछ समझा कि कैसे हम यूं बड़े बने।
नित कष्ट उठाते दुनिया में जैसे के तैसे खड़े रहे।

इस मेरी सहनशीलता से तूने भाई कुछ सबब पढ़ा?
जो दुश्मन हलवाई मेरा उसने अपने सिर चढ़ा लिया।

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10 HOURS AGO

उड़द बड़े में एक दिन बहस हुई घनघोर।
सुना ध्यान देकर तभी ये कैसा गुलशोर।

एक दिवस बोला उड़द अपनी प्यारी तान
मुझसे ही पैदा हुआ बड़ा बना शैतान।

हम तेरे जैसे थे पहले इसमें कोई एतराज नहीं।
पर जो कुछ हमने कष्ट सहे वह कहने में कोई लाज नहीं।

पहले जमीन में दबे रहे सर्दी गर्मी से अकड़ गए।
धीरे-धीरे बाहर निकले तब सुनो वहां के जुल्म बड़े।

आंधी के झोंकों ने घेरा पानी भी ज्यादा कम बरसा।
ओले पाले से बचे रहे तब किसान ले आया फरसा।

उसने काटा और पीटा भी नंगा कर दिया बदन सारा।
सब कुटुंब ने ढोया बोरी में भर बाजार मुझको लाया।

जब तक तुम हम साथ रहे ले गया हमें घर हलवाई।
उसने चक्की में दाल दली पानी में रात भर गलवायी।

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5 MAY AT 13:59

स्वाभिमानी हूंँ, अहंकारी नहीं,
परिस्थितियों से कभी हारी नहीं।
दर्पण जैसा दिल रखती हूंँ,
झूठी अदाकारी नहीं...

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5 MAY AT 8:49

प्रेम का आरंभ हो, अंत ना हो,
पर मन इतना भी स्वतंत्र ना हो,
सुख थोड़ा मिले कोई बात नहीं,
किंतु मन में कोई षड्यंत्र ना हो..

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4 MAY AT 21:37

प्रेम व्यवहार अपनी जगह,
पर मान मेरा अर्पण नहीं,
तुम्हें देखूं, तुम जैसी हो जाऊं,
प्रिय मैं दर्पण नहीं।

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4 MAY AT 8:34

कुछ दुआ रही, कुछ मोहब्बत रही
और कुछ इबादत सी हो गई।
तुमसे मिलने के बाद अब ये जिंदगी,
तुम्हारी अमानत सी हो गई।

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3 MAY AT 19:33

हम ये सच ना बताते तो क्या करते,
कांच का आईना ना दिखाते तो क्या करते।
उजाले हार के बैठे थे तम के आंगन में,
दीये जो हम ना जलाते तो क्या करते।






लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में काम
करते हुए अपने कर्तव्य का ज्ञान है,
हमें निर्भीक व स्वतंत्र चेतना जगाने का भी भान है।
कहीं जरा सा अंधेरा भी कल की रात ना था ,
गवाह कोई मगर रोशनी के साथ न था..

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3 MAY AT 13:18

दिल को आँखों में डुबा दीजिए,
ख्वाहिशें अपनी जगा लीजिए।
अपनी बेबसी को मिटा दीजिए,
मेरे संग आप मुस्कुरा दीजिए।
दिल ना भारी करें कभी अपना,
हर राज दिल का बता दीजिए।
सदा साथ देंगे हर मौसम में,
हमें अपनी मंजिल बना लीजिए।

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2 MAY AT 13:31

मेरे जख्मों का मरहम तुम्हीं हो सनम,
मेरे सांसों की सरगम तुम्हीं हो सनम।
मेरे जीवन का पतझड़ थमा तुमसे है,
मेरे जीवन का मधुवन तुम्हीं हो सनम।

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