Chandan Kumar Nigam   (कुफ़्र कास़िद)
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Joined 13 May 2020


Joined 13 May 2020

ढूँढ ही लूँगा, कहीं तो मिलेगा।
किताबों में रखा प्रेम मेरा ,
खो गया है कहीं शब्दों में।।

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आसान बहुत होता है लिख के मिटाना,
कठिन होता है, मिटते को बचाना।।

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26 APR AT 20:41

मैं भी तुम्हें छूना चाहता हूँ,
मन के एक छोर से दूसरे छोर तक।
जैसे कलम छूती है ,
पन्नों में खींची रेखाओं को।।

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25 APR AT 21:01


मैं गिरता गया ,
उसे उठाने की कोशिश में,
वो इतना उठा की खुदा हो गया ।
वो रहबर बना , मैं रहगुज़र हो गया।।

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24 APR AT 21:11


तुम अक्सर नाराज होती होगी ,
सारी बातें जो मैं तुमसे नहीं बोलता।
बातें सारी कह के मैं खाली क्यों हो जाऊँ,
तेरे बाद मेरे पास,तेरा कुछ तो होना चाहिए।।

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23 APR AT 20:51

मेरे बाद किताबों में सूखे फूल पाओगे जब,
एक पागल अडियल याद आयेगा,
नथुनों में दौड़ जायेगी जानी-पहचानी गंध ,
ख़ालिस महकते कस्तूरी सा।।

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23 APR AT 20:35

वो दौर कुछ और था ,
जब प्यार का इज़हार करते
नज़र झुक जाती थी।
नज़र नहीं झुकती हैं अब प्यार में,
उठी पलकों को ही
अब तुम प्यार का सलाम समझो।।

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22 APR AT 20:22

प्रेम में अक्सर हादसे अजीब होते हैं,
कुछ पथ्थर बनते हैं,कुछ खुदा होते हैं।
कुछ रहनुमा बनते हैं,
कुछ रक़ीब होते हैं।।

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21 APR AT 20:20

अमर प्रेम होने के लिए दोनों पक्ष जरूरी है ।
एक पक्ष होने पर, चाँद भी अँधेरे में डूब जाता है ,
दोनों पक्ष होने से अमर हो जगमगाता है ।।

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20 APR AT 21:55

उसे देखे बिना देख सकता हूँ ,
उसे छूये बिना छू सकता हूँ ,
बिना बात किये बातें करता हूँ ,
उसके लाख मना करने पर भी साथ रहता हूँ।।

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