Chanda Kumawat   (महताब)
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Joined 11 January 2020


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16 JAN 2022 AT 20:53

यहाँ सब के सब है
और किसी का कोई भी नही

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11 DEC 2021 AT 18:29

इंतज़ार.....
कौन कर रहा है
किसका कर रहा है और
सबसे जरूरी, कब तक करेगा?
है क्या इंतज़ार
वक्त का इंतज़ार,
इंसान के आने का इंतज़ार,
यानी कुछ सुखद अनुभूति का होता है इंतज़ार
मेरा अब खत्म हुआ, तुमसे जुड़ा इंतज़ार....
पर अब भी बाकी है उम्मीद किसी इंतज़ार की
जो फिर इस उदास साये को हटा कर मुस्कुराएगा
अभी भी बाकी है इंतज़ार एक सुखद इंतज़ार का


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27 NOV 2021 AT 20:23

एक अजनबी से यूँ ही मुलाकात हुई
थोड़ी खामोशी, थोड़ी बात हुई
मै उलझी थी अपनी उलझन में
पर मिलकर उससे थोड़ी सुलझन हुई
एक गर्म कॉफ़ी थी सर्द हवाओं में
गानों की गुनगुनाहट भी थी उन्ही राहों में
मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा
कॉफ़ी और गानों का सफर चलने लगा
पर अब भी हमारी मुलाकाते तय नही होती है
पता नही कैसे, बस हो जाती है।

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12 SEP 2021 AT 11:33

प्रेम की लहर में बहती अविरल
देह से परे मन के मौन से
स्वप्निल कल्पनाओ की दुनिया मे
तुम्हारे एहसास के स्पर्श से
सुर्ख लालिमा के आँचल में
बरखा सी मस्त मगन में
......
और फिर हकीकत से वास्ता
अपनी ही बेरंग दुनिया के सफेद रंग में...

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11 SEP 2021 AT 11:23

" मैं कही बार बुनती हूँ एक दुनिया
जहाँ मै हूँ और साथ तुम्हारा
जहाँ एक दरिया है और आसमान भी
जहाँ एक अथाह समंदर भी
.
जब हम न होंगे तब ये प्रमाण होंगे हमारी महोब्बत के"

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7 SEP 2021 AT 22:32

"अव्यक्त"

प्रेम में जो अव्यक्त है
वही सबसे आकर्षक
और
वही सबसे भयावक।।

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15 AUG 2021 AT 23:50

किसी से मिल कर क्या कोई पूरा होता है
हिस्सेदार कर उसे अपना, ओर अधूरा होता है

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14 JUL 2021 AT 7:57

तुम्हारी बाँहो में डूब कर
मानो ऐसा प्रतीत हो रहा
वक़्त ठहर गया हो जैसे
हर दर्द गायब हो गया हो जैसे
खोया हुआ हिस्सा मिल गया हो जैसे
रूह से जिस्म का बोझ उतर गया हो जैसे
तो क्या तुम्हें भी कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है?
या भावनाओं की दुनिया से अब कोई वास्ता नही तुम्हारा

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20 JUN 2021 AT 17:03

तुम्हारे उत्सुक प्रश्नों की बौछार ने
जवाबो की खाली जमीन पर भी प्रश्न चिह्न उगा दिए

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22 MAY 2021 AT 10:30

उसे मै पुराना वक्त याद दिला रही हूँ
खुद की ही कहानी में
मानो उसे खुद के किरदार से मिलवा रही हूँ

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