Chand Kanwar   (✍️Chand Baisaa🌠)
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Joined 18 July 2019


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10 DEC 2021 AT 8:21

नजाने
ये जिंदगी किस दौर से
गुजर रहीं हैं
जो मिला था सुकून
इस चाय में
आज वो भी नहीं है,,,,

_Chand Baisaa💫








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22 AUG 2021 AT 18:46

एक अटूट रिश्ता
जिसकी शुरुआत भले ही कच्चे धागे से हुई हो
लेकिन फिर वो कभी ना टूटने वाला बंधन बन जाता हैं

__Chand Baisaa 🌠







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7 JUN 2021 AT 12:38

हम तो ख्याल-ए-चाय बनाकर बैठे रहे
और तुम वहां भी आने से रहे,,,,
_Chand Baisaa 🌠















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10 MAR 2021 AT 17:48

वो किसी ने देखा ही नहीं
मन के भावों को
किसी ने पहचाना ही नहीं
लगी है भाग दौड़ में
दिखावे की दुनिया बनाने में
असलियत में किस को क्या चाहिए
ये किसी ने जाना ही नहीं

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8 MAR 2021 AT 13:08

एक दिन सम्मान देकर
हर रोज अपमानित ना किया करो
पिलाकर एक रोज अमृत
हर रोज विष ना दिया करो
नारी तो पुरुष को पूर्ण करती हुई
ईश्वर की खुबसूरत कलाकृति है
उसे खंडित करके
अपनी अपूर्णता का सबूत ना दिया करो
दो उसे भी अपने हिस्से का स्वच्छंद आसमां
और अपने पंख फैलाने दो
बनने दो उसे भी अपनी जिंदगी का पायलट
और एक ऊंची उड़ान भरने दो,,,,,
Happy women's day❤️
_Chand Baisaa 🌠


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28 DEC 2020 AT 8:16

एक नशा चाय का
एक नशा तेरी निगाहों का
दोनों में मदहोश मैं हो जाती हुं
एक मुझमें उतर जाता है
दुसरे में मैं डुब जाती हुं

















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22 DEC 2020 AT 18:57

अर्जी लगाई मुलाकात की अपने लिए वो तो खारिज हुई
जो मांगी थी दुआ उसके लिए वो कबूल हुई
चल दिए वो नई राह पर एक नए सफर में
खामोश खड़ी रही उन्हीं रास्तों पर मैं
जिन पर कभी हमारी मुलाकात हुई
ख्वाब अधूरे अधुरे से ,दिल के जज्बात जले बुझे से
कहानी लिख रही थी जिस कलम से मैं
बीच में ही उसकी स्याही खत्म हुई
अधूरी थी कहानी मेरी बस अधूरी ही रह गई



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19 DEC 2020 AT 9:54

एक वक्त पर नजर और नजरिया
दोनों बदल जाते हैं
दिन के उजाले में जिन हाथों में
कप नजर आते हैं
वही रातों के अंधेरों में
दूध के कुल्हड़ नजर आते हैं,,,





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17 DEC 2020 AT 8:56

आधा कप चाय सा है तु
पुरा कभी मुझे मिला ही नहीं
तलबगार तेरे हमेशा रहेंगे
Coffee मुझे अच्छी लगती नहीं,,,









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8 DEC 2020 AT 17:31


निस्वार्थ सा प्रेम मेरा शायद तुझे पसंद आएं
उम्र दराज के फासले मिटाकर
मैं तेरी हो जाऊं तु मेरा हो जाएं

रेशम की चादर सी है शख्सीयत मेरी
सिलवटें तो उसमें लाजमी हैं
मैं नहीं तुझे मेरी ये सिलवटें भी पसंद आएं
दो कदम तुम चले आओ
चार कदम हम चले आएं,,,





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