अगर जुनून हो सिर पर तेरे, और अंतर में हो विश्वास
फिर ठोकर और ठुकराने का, होगा कहां तुम्हे एहसास।
मकसद में सच्चाई है तो, सीना ठोक के यही कहो
झुकना होगा दुनिया तुमको, विश्वास पर अपने खड़े रहो
अड़े रहो, अड़े रहो, अड़े रहो।।
दुनिया बदली है जिसने भी, पहले उसको इनकार मिला
अपमानों का हार मिला और तानों का उपहार मिला।।
अविश्वास में तुम अब विश्वास भरो, और लहरों के विपरीत बहो
हाथों में विजय मशाल लिए विश्वास पर अपनी खड़े रहो
अड़े रहो, अड़े रहो, अड़े रहो।।
अपने सपने तुम स्वयं चुनो और बुन लो विश्वास की डोरी से
तुम विजय गर्जना के नायक, तुमको क्या करना लोरी से।
तुम स्वयं सिद्ध इस जीवन के, उन्मुक्त गगन में उड़े चलो।
आरंभ आज से नवयुग का, विश्वास पर अपने खड़े रहो
अड़े रहो, अड़े रहो, अड़े रहो।।
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