Brajbhushan karn   (love u zindagi)
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आप और मैं तो नायाब तोहफा है उस खुदा के
Joined 12 March 2020


आप और मैं तो नायाब तोहफा है उस खुदा के
Joined 12 March 2020
22 MAR AT 5:39

उसकी आदत से निकल नहीं पाता
दिल बस बीते बात गुनगुनाता
समझ रहे हैं परेशनियाँ सारी
उसके बिना मुझे कुछ भी नहीं भाता

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10 NOV 2022 AT 10:03

मेरे अंदर का बच्चा किसी कोने में बैठकर रोया बहुत
जैसे सब कुछ मिल गया उसको या उसने खोया बहुत
आँसु खुशी के थे या गम के ,इस पल के लिए खुद को संजोया बहुत
लगाया जो था पेड़ गलिचों में मैं ,आए हवा सुकून के
पत्ते झरे उस पेड़ के जिसे मिट्टी में बोया बहुत
इसी याद में रहे की वो याद तो करेगा
यही सोच कर उसके ख्वाब में सोया बहुत

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21 JUN 2022 AT 6:46

ताउम्र कोष कर खुद को बताओ मिल गया क्या
ना वो वक्त ना अब समय और वो इंसान भी नहीं है

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19 JUN 2022 AT 15:11

कल प्यार उन्हें गुनाह लगने गया
प्यार की सारी बातें उन्हें आह लगने लगा
रुठी जबसे तब से मानी नहीं है
हसीन सफर उन्हें काँटों का राह लगने लगा
गलती थी मेरी की मैंने कुछ बोला जो उन्हें बहुत बुरा था
मुझे तो प्रेम का एक नया चाह लगने लगा
उन्होंने भी उसके पर्याय शब्द बहुत बार बोले हैं
लेकिन मेरे अल्फाज उन्हें गुनाह का पनाह लगने लगा

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15 JUN 2022 AT 12:10

मेरी सच्ची सी अहसास उनके लिए ,परेशानी बन गयी
बेजूबाँ खुशी के,तनहाई की निशानी बन गयी
उनका मिलना अहसासों का मिलन था
या भरोसा दिलाने की कहानी बन गयी

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13 JUN 2022 AT 12:49

एक बात बता दीजिए
मेरे दिल को तसल्ली दिला दीजिए
क्या sorry बोलने से सब सही हो जाता है
तो ये अहसास भी मुझे जता दीजिए

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6 JUN 2022 AT 21:10

हर जर्रे को तराशा की हर पत्ते को तलाशा
प्यार को बदनाम ना करे , जिंदगी है ही तमाशा

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6 JUN 2022 AT 20:55

देखिए आप अपनी दोस्ती को ,प्यार का नाम ना दीजिए
पहले प्यार सिख आइये ,फिर कोई काम कीजिए

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27 APR 2022 AT 8:03

सुबह की बेला आयी , आशा की किरणें लायी
खुशियाँ मुखड़ों पर उम्मीद लिए ,
किसी से मिलने की कोई दीद लिए
कुछ रीत लिए , कुछ प्रीत लिए
कुछ नए सुरों का गीत लिए
कितने मन को हर्षायी
सुबह की बेला आयी
तम के विकार से बाहर आकर ,
कोई खुद में अपनों को पाकर
कुछ रंज,द्वेष कुछ लोभ -मोह
कोई इच्छाओं को ना कर
कोई मतवाले से मन को ,
डटकर फटकार लगायी
सुबह की बेला आयी
खग कलरव करते मधुर -मधुर
कुछ पास-पास कुछ दूर-दूर
कोई अपने संगी बोल रहा,
कोई खुद के मस्ती डोल रहा
कोई कू-कू करके अपने ,
प्रिय को आवाज लगायी
सुबह की बेला आयी
कलियों की शोभा है न्यारी ,
करते सब खिलने की तैयारी
उन्हें देख मन आनंदित क्यारी क्यारी
यह दृश्य देख दिल बलिहारी
नव भोर की बदरा छायी
सुबह की बेला आयी
शुभ प्रभात 😊😊

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27 APR 2022 AT 7:57

दिन रहेगा , वक्त भी रहेंगे
पर तेरा चर्चा ना होगा
जगह भी होगा , शाम भी रहेगी
पीछे तेरे समय का खर्चा ना होगा
हम भी रहेंगे , तम भी रहेगा
तेरे नाम का दिल में पर्चा ना होगा

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