BIDISH GOSWAMI   (বিদিশ.... Bidish)
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Joined 9 November 2018


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Joined 9 November 2018
9 MAR 2023 AT 1:04

हर हाल में हसने का हुनर पास था जिनके...
वो रोने लगे हैं तो, कोई बात तो बेशक होगी..

संभल के हरदम चलने की आदत थी जिनको...
वो संभाले जाने लगे तो, कोई बात तो बेशक होगी।

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12 JAN 2023 AT 5:15

शहर में आग....

कुछ मग़्मूम से लगे माहताब हमारे
अर्ज़-ए-हाल जो हमने किया शहर का,

सूरज को आफताब कहने की जुर्रत जो कर गए
दिखा हमे भी अंजाम उनके कहर का।



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1 JAN 2023 AT 9:08

खुशी भी गुजर गई, ये मलाल भी गुजर गया,
देखते ही देखते ,ये साल भी गुजर गया।

उसके लौट आने की मगर धुंधली ख्वाब तो थी,
गुजरते साल संग वो उम्मीद भीं गुजर गया।

चैन की नींद तो है रातों में, पर आंखों से ख्वाब गुजर गया;
दिन का सूरज तो चमकता है जिंदगी में, रातो का लेकिन मेहताब गुजर गया।

बहुत कुछ कहना था तुझसे और बहुत कुछ सुनना था,
तेरे कहे अल्फाजों में अपना सा मतलब भी ढूंढना था।
पर वो जिज्ञासा भीं गुजर गई और पूछने का वो काल भी गुजर गया,
देखते ही देखते....ये पिछला साल भी गुजर गया

में ईश्क का जवाब ढूंढे खड़ा रहा मगर....
तेरे जवाबो के अभाव में ये सवाल भीं गुजर गया।।

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12 DEC 2022 AT 2:02

मेरे लिखे नज़्म...

मेरे चुभते किस्सों के किताबो में,
दबे मिलेंगे तुम्हे कुछ गुलाब भी
मेने, ईश्क में यादों के साथ,
रखा है सारा हिसाब भी।

जिस महफिल में हया लुटाई
उसको है मेरा आदाब भी,
रस रहे शायरियो तक बस
मेरे नज्मों से टपके शराब भी।

जलते है शायर शायद इसलिए
जो में अफताब के साथ लिखता चांद भी,
फकत जिस्म तक न रहे ईश्क हमारा..
तू सीने से लगा सके मेरे लिखे नज़्म भी।

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16 NOV 2022 AT 2:00

जिंदगी रास नहीं...

कौन है वो, पूछे जो कोई....
"कोई खास नही", कह देना तुम.....
कच्ची पक्की सी है दोस्ती उसकी,
आधी सच्ची आधी झूटी भी लगे बातें उसकी..
चादर ओढ़े रहता है अक्सर जस्बातो का;
अब कोई ना लगता यहाँ उसको अपना सा।
बारिश भी है अंदर उसके;
भीगा सा भी रहता दिल उसका।
दर्द से उसका कुछ ज्यादा है लौ,
ख़ुशी की भी इतनी आस नही।
कौन है वो, फिर भी कोई पूछे....
"जिसे जिंदगी रास नहीं", कह देना तुम।।

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24 OCT 2022 AT 23:47

बड़े पटाखे कुछ ही पल में सुन्न हो जाते है अक्सर...

में फूलझड़ि हु जनाब,
कुछ देर मेरे सहारे लोग मुस्कुरा तो लेते है।

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16 OCT 2022 AT 4:05

*केसा लगता है*

मुझे इल्म है आखिर,
सच्ची मोहब्बत खो, केसा लगता है।

मैने महसूस किया है आखिर
घंटो रो, केसा लगता है।

इत्तिला हुई मुझे आखिर,
खुदा से नाराज़ बैठ, केसा लगता है।

इरफ़ान भी हुआ आज आखिर,
इंतजार खत्म हो और दीदार न हो, केसा लगता है।

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8 OCT 2022 AT 0:47

खत....

एक खत वो भी था,
जो तूने कभी लिखा भी नही....

और हम जिसका हर शाम,
जवाब ही देते रह गए....

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6 OCT 2022 AT 23:32

अधूरे वादे....

आज तक हम दोनो ने रखे हैं....
पछतावे की अलमारी में,
एक दो वादे जो....
दोनों से निभाये ना गए।

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21 SEP 2022 AT 23:45


इतने घने बादलो के पीछे
कितना तन्हा होगा तू....


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