Bhojraj Kapure   (©मीर)
305 Followers · 29 Following

read more
Joined 4 December 2018


read more
Joined 4 December 2018
2 OCT 2023 AT 10:20

माना के एकतरफ़ा इश्क़ कभी पूरा नहीं होता
वो आधा होता हैं जनाब मगर अधूरा नहीं होता

-


25 JAN 2022 AT 9:24

मुझे तेरी मोहब्बत से दूर जाना हैं आहिस्ता आहिस्ता
जैसे सूखे पत्ते का पेड़ से गिरना हैं आहिस्ता आहिस्ता

लोग तो बेवजह मनाते हैं ख़ुशी हर एक के जनम क़ी
सच तो ये के उसे हररोज़ मरना हैं आहिस्ता आहिस्ता

-


26 MAY 2021 AT 20:15

अपनी आग़ोश में इस तरह छुपा दे मुझे
बहुत देर तक जला हूँ अब बुझा दे मुझे

ज़िंदगी तो सब को दीं चार दिन की मगर
मेरे हिस्से में क्यों आयी रात बता दे मुझे

सुनाई देता हैं सिर्फ़ सिसकियों का शोर
हवा से नहीं तो आंसुओं से सुला दे मुझे

मिटे गए परवाने कई रोशनी में मेरी
यें भी तो गुनाह हैं जिसकी सजा दे मुझे

-


23 FEB 2021 AT 11:01

अब के शाम आए तो थोड़ी सी शफ़क़ मांग लेना
रंग बिखर मायूसी के हौसलों का उफ़क मांग लेना
यें ना सोचना की क्या पाया और क्या खोया तुमने
मिले ज़िंदगी जितनी उसे जीने का सबक़ मांग लेना

-


27 JAN 2021 AT 20:14

सुना के अमन पसंद हैं बहुत तेरे शहर का नवाब
तो चलो फिर पुराने अख़बार उठा के देखते हैं

-


9 JAN 2021 AT 12:56

जो मिला नहीं उसका हिसाब थीं ज़िंदगी मेरी
ख़ुद ही के ख़्वाबों से इंक़लाब थीं ज़िंदगी मेरी

मौजूद होकर मैं जमाने को दिखाई ना दिया
जैसे की अमावस का महताब थीं ज़िंदगी मेरी

बावजूद रहकर भी दरियाँ में ताउम्र प्यासा रहा
किसी बूँद का बनाया हुबाब थीं ज़िंदगी मेरी

बहुत लिखी कहानियाँ मगर पढ़ीं ना किसी ने
जलने के काम आयी किताब थीं ज़िंदगी मेरी

-


30 DEC 2020 AT 8:50

वो छीन कर बिनाई ख़्वाब दिखाता मुस्तकबिल के हैं
कहता हैं फ़क़ीर खुद को मगर सारे नक़्श कातिल के हैं

-


28 DEC 2020 AT 18:21

इस दिल को भी एक अजीब सी आदत है
जो मिला नहीं आखिर उसी से मोहब्बत हैं

जिसे महसूस करता हैं उसे छू नहीं सकता
ये इश्क़ भी लगता हैं अजीब सी आफत है

अब किससे करे फर्याद मांगे किस से दुआ
प्यार करते है उन्हे और उन्हीं से शिकायत हैं

कुछ न मिलता बेरुख़ी और बेवफ़ाई के सिवा
और लोग कहते हैं इश्क़ ख़ुदा की इबादत हैं

-


27 DEC 2020 AT 17:30

इस तरह छुपाये जमाने से मोहब्बत के अजाब हमने
चेहरा वही था बस आईने को ओढ़ दिया नक़ाब हमने

-


19 JUN 2020 AT 13:23

छुपाए छुपते नहीं वो राज जों दफ़्न हों चार दीवारों में
हवायें शोर बहुत करतीं हैं अक्सर ख़ाली मकानो में

-


Fetching Bhojraj Kapure Quotes