Bhavna Bhatia   (BhavnaBhatia)
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Joined 1 August 2020


Joined 1 August 2020
16 DEC 2021 AT 23:15

"कल तक जो कलम मेरे जज़्बात की धुन पे नाचती थी अब उसकी नोख इस जाड़े में सिकुड़ गई है, स्याही अंदर सूख गई है।
शायद इसे अब डिब्बे में बंध करके किसी ऐसे कोने में रखना पड़ेगा जहा न इसे सर्दी लगे न गर्मी, ना बारिश की चुभन ना धूप की जलन
क्योंकि अब नहीं चल पाएगी ये एक और पतझड़ का मौसम।"

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12 DEC 2021 AT 18:46

"unka toh dil bhi nahi laga humse aur hum pagal unse ummeedein laga baithe..."

"उनका तो दिल भी नहीं लगा हमसे और हम पागल उनसे उम्मीदें लगा बैठे।"

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25 JUL 2021 AT 3:10

"ये 'मेरे साथ ही क्यों हुआ?' इसका जवाब तो आज तक कोई नहीं ढूंढ पाया
पर 'जो हुआ अच्छा हुआ' ये कहने की हिम्मत भी हर कोई नहीं जुटा पाया।
कोई मझधार में डूब गया,
कोई किनारे पे ही खड़ा रहा,
थकान तो उसने भी महसूस की जो तूफानी लहरों से तैर गया।
क्या सही क्या ग़लत ये समझ ना आया
दिल और दिमाग की लड़ाई में खुद को ही खोया और पाया।"

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18 JUL 2021 AT 22:17

"Aaj kal jab bhi aaina dekh rahi hu samajh nahi aaraha ki dhundla aaina hai ya dil ab bhi bhaari hain..."

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18 JUL 2021 AT 21:20

"Har koshish ke baad bhi haar mili
Thak chuki hu intezaar mein,
Jau toh jau kaha
Doob rahi hu main majhdhaar mein..."

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18 JUL 2021 AT 21:15

"Koi kahin mashroof hai
Koi kahin majboor hai
Hum khamosh tamasha dekh rahe hai
Aur dil me kayi nasoor hain..."

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7 JUL 2021 AT 1:45

"रंगो का मेला देखा मैंने कुछ रंग मुझे भी चुन्ने थे,
भूरा और काला देखा मैंने
लाल, हरा, नीला, पीला तो धुंधले थे।

ना नज़र मेरी कमज़ोर थी ना दिल में मेरे शोर था
चका चौंद मेले में थी फिर भी चारों ओर सफेद रंग घनघोर था।"

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7 JUL 2021 AT 1:37

"कीमत इंसानों की होती है जनाब तभी तो पल अनमोल बनता है🙂
वरना तो,
मौसम - ए - बरसात में भीगकर भी सूखा सा लगता है,
अदरक और 1 चम्मच शक्कर वाला चाय का cup फीका सा लगता है,
यादों से भरा दिल और तस्वीरों से भरा घर सूना सा लगता है,
फिर एक "काश" में सिमटकर जीना रूखा सा लगता है...।"

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6 JAN 2021 AT 15:48

"Ek sach hum jante hain, ek sach hame dikhta hai, aur ek sach jo hame apnana padta hai; is beech jo waqt guzarta hai usse zindagi kehte hai."

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6 JAN 2021 AT 15:43

"Aakhen gulabi hogayi
Dil aasmani hogaya
Patjhad ka mausam tha, Hoth safed hogaye
Chehra kitabi hogaya."

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