बढ़ाया जात पात ने भेदभाव
पहुंचे शमशान, सब साथ हुए ।
चले संग संग, साथ-साथ राख हुए।
लड़े ना झगड़े, जले अग्निशिखा में
शांति से, भेदभाव हृदय के माफ हुए।
आग हृदय की, मिली आग में
हवाओं में गाता प्रेम राग हुए।
पिया गंगेजल, शीत आज हुए ।
प्राण आकाश में ऊंची परवाज़ लिए
अनंत तक गगन की आवाज़ हुए ।
पंचतत्व का अजब गजब शाज़ हुए।।
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