Bharti Kumari   (भारती)
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Joined 1 September 2020


Joined 1 September 2020
25 JUL 2021 AT 14:03

कहा था बेवफाई नहीं दूंगी
खुदा के दर पर दुहाई नहीं दूंगी

तुझे जो इल्ज़ाम लगाने हैं लगा
मैं कोई भी सफाई नहीं दूंगी

चाहे कत्ल कर मेरी मोहब्बत का
मैं तेरे खिलाफ गवाही नहीं दूंगी

तेरी बदनामी मेरी बदनामी है
कभी इनाम-ए-रुसवाई नहीं दूंगी

गर चुभने लगी है आवाज़ मेरी
तो अब से मैं सुनाई नहीं दूंगी

तू मुझे देखने को तरसेगा कल
और मैं तुझे दिखाई नहीं दूंगी

चलो मान लिया रकीब बेहतर है
पर शादी की बधाई नहीं दूंगी

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20 JUL 2021 AT 18:48

तन्हा चल रहे हो, किसके इंतज़ार में हो तुम?
क्या आज भी उस बेवफा के प्यार में हो तुम?

क्या उसकी याद तेरी आंखों से बह रही है?
वो जा चुका है क्यों उसके इख़्तियार में हो तुम?

ये न सोच कोई बज़्म में तेरा दर्द सुनेगा,
सब ही दर्द में हैं बज़्म-ए-बेज़ार में हो तुम।

इधर आंसुओं की भी कीमत लगाई जाती है,
जहाँ इश्क नहीं बिकता उस बाज़ार में हो तुम।

जिसने खबर भी ना ली मुद्दतों से तुम्हारी,
यार मुन्तज़िर उसके लिए बेकार में हो तुम।

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22 MAY 2021 AT 22:16

मितवा

तुम्हारी उपस्थिति में भी,
तुम्हारी गहन
निकटता के क्षणों में भी,
प्रत्येक क्षण
तुम्हें खो देने के विचार मात्र से,
मेरा हृदय
इतना व्याकुल रहा है,
कि तुम्हें प्रेम करना
सदैव शेष ही रहा है

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17 MAY 2021 AT 22:39

एक रोज़ वो आखिरी
लकड़ी भी जल जाएगी
वो आखिरी गाना भी
चलते-चलते बंद हो जाएगा

हमारे बाद नए लोग आएंगे
नई कहानी लेकर
शायद इस बीच हमारा 'हम'
भी कहीं गुम हो जाएगा

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15 MAY 2021 AT 20:25

हर शख्स यहाँ एक कहानी लिए बैठा है
या कहूँ कि दास्तान ए जवानी लिए बैठा है
कहने को खिलती है चेहरे पर मुस्कान उसके
ये किसको मालूम है क्या कहानी लिए बैठा है
यूं तो बरसती है बरसात कई बार उस पर
मगर सीने में वो एक प्यास दिवानी लिए बैठा है
कहने सुनने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है
मगर ज़ेहन में वही बात पुरानी लिए बैठा है
गुजरे है कई मंजर बुरे से सभी के साथ
वो आज तक उस बात की हैरानी लिए बैठा है
वैसे तो ठहर चुके है अरमान उसके शायद
एहसासों में आज तक रवानगी लिए बैठा है
रोज़मर्रा के चर्चों से है तो वो परेशान बहुत
मगर यादों में एक सुहानी याद लिए बैठा है
हजारों चहरो में कहां याद रहता है सबका नाम
आंखों में बस चुका वो चेहरा नूरानी लिए बैठा है
वो जो छू लिया था किसी ने हृदय और मन
उस छुअन को तरसती वही पेशानी लिए बैठा है
भीड़ से मिलकर चलने में खतरे हैं बहुत
जो दिल में बस चुकी वही वीरानी लिए बैठा है
हर शख्स यहाँ एक कहानी लिए बैठा है

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13 MAY 2021 AT 12:15

वो पूछते हैं कि उनहोंने किया ही क्या है..
मैं सोचती हूँ कि बताऊँ तो बताऊँ क्या।

वो सोचते हैं कि महज़ कुछ लफ्जों का किस्सा हैं वो..
दाकीक गज़ल हैं वो मैं बताऊँ क्या।

वो कहते हैं कि दिल का पैमाना दर्द से भरा है..
मैं सिर्फ़ मनसूबे बुनती हूँ कि जाम चुराऊं क्या।

वो चाहते हैं लोगों के दिलों को छूना..
मैं सोचती हूँ इस रूह पे पड़ी छाप दिखाऊँ क्या।

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8 MAY 2021 AT 12:27

हर रिश्ते की पेचीदगी सुलझ गई होती
गर बुनियाद में दोस्ती उलझ गई होती

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7 MAY 2021 AT 22:23

For every ongoing breath that I take,
May you breathe easy
For every drop that falls from my eyes
May there be a glimmer in yours
For every second of hopelessness in my heart
May hope gush through yours
For every painful thought that crosses my mind
May you be basking in joy

For you have waited too long
Too long to forget your song..

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2 MAY 2021 AT 12:35

बढ़ाया जात पात ने भेदभाव
पहुंचे शमशान, सब साथ हुए ।
चले संग संग, साथ-साथ राख हुए।
लड़े ना झगड़े, जले अग्निशिखा में
शांति से, भेदभाव हृदय के माफ हुए।
आग हृदय की, मिली आग में
हवाओं में गाता प्रेम राग हुए।
पिया गंगेजल, शीत आज हुए ।
प्राण आकाश में ऊंची परवाज़ लिए
अनंत तक गगन की आवाज़ हुए ।
पंचतत्व का अजब गजब शाज़ हुए।।

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29 APR 2021 AT 22:10

दिल के धड़क जाने के लिए ना सही
रूह के संभल जाने के लिए सही
तुझे एक बार तो आना होगा

गले से लगाने के लिए ना सही
ख़फा को मनाने के लिए सही
तुझे एक बार तो आना होगा

वादे को निभाने के लिए ना सही
एहसास कर जाने के लिए सही
तुझे एक बार तो आना होगा

मेरी सांसें थम चली हैं, मेरे अज़ीज़
मुझे दफनाने के खातिर ही सही
तुझे एक बार तो आना होगा

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