Bhanu Priya   (Bhanu priya trivedi)
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Joined 15 January 2019


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27 JAN AT 8:09

समझ बस इतनी है यह ज़िन्दगी मेरी है

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26 JAN AT 8:25

नाज़ है मुझे मैं इस देश ‌का रहवासी
अनेकता में एकता इस देश ‌का परिभाषी
हर रंग यहां हर दिन‌ उमंग यहां
रोज नया संकल्प जहां
सुरज‌ की प्रथम किरणे बिखरे यहां
रोज नया त्योहार जहां
पत्थर को पुजा जायें यहां
राम हर घर में ‌ आये जहां
हर पथ पर चलने को‌ तैयार यहां
मार्त भुमि पर मिटने को तैयार जहां
मौसम के हर रंग यहां
बेटी की डोली उठतीं जहां
सब मंगल आनंदित यहां
सुनहरे भारत का सपना जहां
बच्चों से बुढो तक बस इक नारा
सबसे प्यारा हिंदुस्तान हमारा

नाज़ है मुझे मैं इस देश ‌का रहवासी
अनेकता में एकता इस देश ‌का परिभाषी
भानु

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18 JAN AT 8:05

दोस्ती ताउम्र
मोहब्बत ताउम्र.
बंधन ताउम्र
कर्म ताउम्र
शिकायत पल भर
नाराज़गी पल भर
ईर्ष्या न‌ किसी से
बैर न किसी से
हो ज़िन्दगी में
आनन्द ही आनन्द

भानु

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17 JAN AT 22:59

लिखना मुझे हर रास्ते पर अपना नाम
जहां से मेरी मंजिल मिलती है
होगी मोहब्बत उसे भी‌ मेरे जुनुन से
जहां तकदीर सब की लिखी जाती है
भानु

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19 DEC 2023 AT 7:14

समझ गए इतना की अब
अधूरे ख्वाबों को पूरा कर ले
हर हार को जीत में बदल दे
मुस्किल को हंसकर झेल ले
रोना नहीं अब जान ले
मेहनत से खुद को सींच ले
होगी जिदगी मेरी इतना समझ ले

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13 JUL 2022 AT 5:51

गुरि घ्यान है घ्यान का का सागर है
सृष्टि पर उपकार है
गुरु सृजन है बीज से बनाये पौधा है
गुरु कर्म है जो बुझती लो में चिंगारी जगाए
गुरु करुणा है ममता की छाया है
यह अनुशाशन का पाठ है
गुरु तपन है लोहे को सोना बनाये
गुरु उम्मीद है व्यकत्त्व में नैतिकता लाये
गुरु पूजन है समाज का आधार है
यह समाज की आस है

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29 MAR 2022 AT 15:07

तेरे साथ किय्या हर गुनाह माफ हो जाये ,
उस ऊपरवाले को भी किसी से इतना बेहिसाब प्यार हो जाये

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28 MAR 2022 AT 19:34

कुछ तो बिखरा है जिंदगी में
वरना यह आँखे इतनी रुहासी न होती

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27 MAR 2022 AT 11:12

कभी हो ऐसा
मेरी नजरो से मुझे देखो
मेरी चाहत को तुम समझो
मेरी आवाज को तुम सुनो
मेरी अनकही को जानो
मेरी भीगी पलको को पोछो
मेरी दिल को अपना कहो
मेरी आदतो को अपनाओ
मेरी वजूद को न ठुकराओ
मेरी सुंदरता को निखारो
मेरी हर खुशी गम में शामिल हो
मेरी रात दिन की हिस्सेदारी करो
मेरी बातो को शहद कहो
मेरी तारीफ के पुल बांधो
मेरी जीवन की कहानी बनो
मेरी रुठी अदाओं को मनाओ
मेरी जिन्दगानी को हसीं करो
ऐसा नही होता है जानती हूं
पर क्या करूँ औरत की रग पहचानती हु
उसे ढूंढ रही है जो है ही नही कल्पना से भी परे
एक अनुबंध को जो सिर्फ ख्यालों में हो सकता है हकिकत में नही।

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16 MAR 2022 AT 15:31

तुम फिर मिलोगे,
दिल यह कहता है
फिर खुशनुमा लम्हे दोगे
दिल यह कहता है
जहाँ सिर्फ एक दुझे को देख
ही सारे बाते होती है
फिर वही अदायगी दिखाओगे
दिल यह कहता है
वो अजीब सा मजा है तेरी बातों में
जिसे सुन तेरी हो जाती हु
दिल यह कहता है
वो कहकशा फिर शब्दो का छेड़ोगे
कुछ एक जैसे है कुछ ना भी
फिर भो एक दुझे से जुड़ जाते है
दिल यह कहता है
इस बार जब मिलो
फिर थोड़े पास आएंगे
कैसे कब कहा क्यों का
जवाब नही है मेरे पास
दिल यह कहता है
एक बार गले लगोगे
ओर फिर खूब शिकवे तुमसे करूंगी
ओर तुम मुझे मस्ती से देखोगे

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