प्रिय तुम,
कैसी हो? उम्मीद है अच्छी ही होगी और खुश भी। कितना याद आती हो तुम, शायद मैं भी आता हूं तुम्हें। नहीं भी आता हूंगा तो कोई बात नहीं, मैने कभी कहा भी नहीं कि तुम मुझे याद भी करो। — % &तुम्हें कुछ बताना था, पर बात करते समय कभी कह नहीं पाया, हमेशा ये बाते पता नहीं क्यों जुबान पर आते आते रुक जाती थी, और बहुत बार कोशिश की तुम्हें बताने की, कि तुम कोई साधारण सी दिखने वाली लड़की नहीं हो, तुम असाधारण हो, इतनी कि तुम्हें देखते समय कभी मेरे दिमाग में चांद का ख्याल नहीं आया, जब कभी भी मैने तुमसे बात की, हमेशा मैने तुम्हें आकाशगंगा के सदृश पाया और मैं मात्र एक भानु। इतना जानते हुए भी तुमने मुझे अपना बनाया। — % &हम जब भी कभी बात करते हैं, चाहे वो शाम की चाय के साथ की चर्चा हो या चांदनी रात में छत पर बैठकर होने वाली बातचीत... हमेशा ही तुम बाहों के दरमियान रहकर या कंधे पर सर रखकर सुनती हो या कभी-कभी मुझे अपनी गोद में लिटाकर । हर वार्तालाप में तुम्हें निहारते हुए तुम्हारे सौंदर्य और सौम्यता की वर्णन के लिए मेरे पास शब्दों का अभाव ही रहा।— % &तुम्हें याद है कि उस दिन जब हमने साथ में डूबते भानु को देखा, सच बताऊं मैं उस दिन डूब गया था और अब उगना भी नहीं चाहता, तुम क्षितिज के पार की वह शक्ति हो जहां से पृथ्वी पर अस्तित्व का संचालन होता है।— % &तुम जैसी हो, वैसी ही रहना। बहुत कुछ बताना है... पर इस बार के लिए इतना ही ...। बस इतना कहना है कि जब भी अकेला होता हूं मैं...याद आती हो तुम।♥️
तुम्हारा मैं (भानु)— % &
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