मौजूदगी ही काफी है तुम्हारी मेरे हयात में, सुनो न! ओ मख़मली छुअन वाली,,, सुना है, सूरत का तिलिस्म मदहोश किये हैं सब को और फिर सीरत के तो क्या कहने, सुना है, अल्फ़ाज़ों के जादू टोने भी करती हो, तो फिर आज,, बिखेर दो तो अपनी इंद्रधनुष के सात रंगों में से, वो एक रंग कर दो न एक ऐसी ग़ज़ल भी तहरीर कि, जिससे तुम मेरे जज़्बात समझ लो!