ayush rai  
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Practicing Banking and Poetry
Joined 14 August 2018


Practicing Banking and Poetry
Joined 14 August 2018
28 JUN 2020 AT 9:46

सबकी नज़रों में रहो
फिर भी इन्तिज़ार करो
चेहरे पे मुस्कान रहे
फिर भी उनको प्यार करो
उनकी आँखों से
मोती ना कभी टूट गिरे
उनसे थोड़ा दूर रहो
फिर भी आसपास रहो
घर से जो निकलें तो
धूप ना लग जाए उन्हें
हाथों से पंखा झलो
कमीज से उन्हें छाँव करो

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31 AUG 2019 AT 9:16

प्यार हो उनसे कैसे कि इकरार नहीं है
इकरार हो उनका कैसे कि प्यार नहीं है
दस बात में छिपाकर हर एक बात हो रही
नई बात हो शुरू कैसे कि तैयार नहीं है
ना दीदा-ओ-दिल मिले हैं ना ही वाएदा हुआ है
राहें मिले तो मिले कैसे कि तीर आर पार नहीं है
मुहब्बत भले नई है पर इल्ज़ाम है पुराना
नाम हमारा ही लगा के हमारा इन्तिज़ार नहीं है
हजार ख्वाब देखे थे मैने साथ उसके
ख्वाब दफ़न करे तो कैसे कि एतबार नहीं है
अहद-ए-वफ़ा का जुगनू अब दिखाई नहीं है देता
दीये फ़िर से जलाये कैसे कि अंधकार नहीं है
एक तूफ़ान सा उठा था कुछ पेड़ भी गिरे थे
मुश्किल बाग-ए-वफ़ा का बसना कि बहार नहीं है
कत्ल मेरी ही चाहतों का सरेआम हो रहा
शिकायत करें तो करें किससे कि गुनहगार नहीं है
उसने नए ही ढंग से तोडा़ है दिल हमारा
कि दवा काम कर रही है पर सुधार नहीं है

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13 AUG 2019 AT 20:49

एहतियात कुछ रखता था क्यूं कि प्यार मैं करता था
गलियों में छुपता था नज़रों से मैं बचता था
उसकी बातें सुनता था उससे दूर ही रहता था
मुहब्बत की सड़कों से पत्थर मैं सारे चुनता था
एहतियात कुछ रखता था क्यूं कि प्यार मैं करता था

सबेरे बाल बनाती थी खिड़की पे जो आती थी
हौले हौले से इक फूल बालों में लगाती थी
परदों को खींच के जो खुलेआम वो आती थी
छुप के आहें मैं भरता था हर पल को मरता था
एहतियात कुछ रखता था क्यूं कि प्यार मैं करता था

साइकिल की सवारी थी किताबें बहुत ही भारी थीं
लहराती उसकी चोटी तो दुनिया में सबसे न्यारी थी
लोग तो उसको दिखते ना हुस्न की उसे खुमारी थी
मैं सामने उसके होता था चुपचाप उसे मैं तकता था
एहतियात कुछ रखता था क्यूं कि प्यार मैं करता था

सियाह सफेदी दुनिया का इंसान मैं मुमकिन भूरा था
अहदों से मुकम्मल था लेकिन अपना इतिहास अधूरा था
फिर भी बात तो उसकी थी आखिर प्यार जो पूरा था
तस्वीर से उसकी मिलता था पर उससे मैं डरता था
एहतियात कुछ रखता था क्यूं कि प्यार मैं करता था

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10 JUL 2019 AT 20:27

आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं

भूलकर बातें सारी पिछले पहरों की
माफकर गलतियां अपने अधरों की
रात की तिश्नगी में इक दिया जलाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं

आगे अभी बहुत घना है अँधेरा
साथ हम दोनों को ढूँढना है सवेरा
बरसने दो आज फिर उम्मीद की घटाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं

होता मुमकिन जो कुछ हम सोचते
मुश्किलों के समंदर हमें ना रोकते
चारो ओर होतीं खुशियों की सदाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं

काश मंजिलें खुद चलकर आतीं
राहों की बंदिशें हमें रोक ना पाती
बहती हर ओर विश्वास की हवाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं

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26 JUN 2019 AT 8:39

जब भी घर से निकलना तुम, जरा बाएँ बाएँ चलना तुम

तुम सुन्दर हो तुम नाजुक हो, हम नादानों के दिल पे चाबुक हो
यूँ ना गेसू खोले फिरा करो, थोड़ा करम तो हम पे करा करो
इक रहम मुझ पर करना तुम, जरा धीरे धीरे चलना तुम
जब भी घर से निकलना तुम, जरा बाएँ बाएँ चलना तुम

क्यूं कि दायें दिल के फेरे हैं, सारे बड़े चोर लुटेरे हैं
ये सुन्दर ख़्वाब दिखाएंगे, तुम्हें झूठी आस दिलाएंगे
इक रहम मुझ पर करना तुम, जरा नजरें नीची रखना तुम
जब भी घर से निकलना तुम, जरा बाएँ बाएँ चलना तुम

जरा अपने दिल को समझाना, दर्द ना सबको बतलाना
कुछ बातें उसमें से चुन लेंगे, तो जाल वो सारे बन लेंगे
इक रहम मुझ पर करना तुम, जरा चेहरों से संभलना तुम
जब भी घर से निकलना तुम, जरा बाएँ बाएँ चलना तुम

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31 MAY 2019 AT 19:45

शिकायत

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25 MAY 2019 AT 20:09


तो शायद


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6 MAY 2019 AT 1:01

मुहब्बत की किस्मत ये किस्मत के धोखे
ये धोखों की दुनिया और दुनिया में हम हैं

धोखों की नसीहत नसीहतों की बेवफ़ाई
ये बेवफ़ाई की दुनिया और दुनिया में हम हैं

बेवफ़ाई के ऊँचे नशेमन नशेमनों में सितमगर
ये सितमगरों की दुनिया और दुनिया में हम हैं

फिर सितमगरों की है हसरत हसरतों के हैं जख्म
ये जख्म-ए-तमन्ना की दुनिया और दुनिया में हम हैं

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9 APR 2019 AT 21:01

प्यार माँगा था धोखा दे कर रुला दिया मुस्काने में
अरमानों की लाश दफन है उस घर केे तहखाने में

उनका ख्वाब सुनहला है अपना ख्वाब तो धुंधला है
ये बात समझ में आई उनको कई दफा समझाने में

ऊपर भी जम्हूरियत है वहाँ भीड़ का सिक्का चलता है
एक अकेले काफ़िर ने ये जाकर जाना बुतखाने में

सीना कितना जलता है जब अपने पर घिर आई है
पहिले कितना हँसते थे सबकी सुनने और सुनाने में

चांद सितारे शबनम जुगनू सबको बहुत ही प्यारे हैं
पर कोई कैसे दिल में चमके दिल हो जब वीराने में

हाथ हमारा छुड़ा केे वो इस से उस से मुस्काते हैं
टूटे आशिक़ को माफी होगी फिर से उस मयखाने में

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2 APR 2019 AT 20:22

पहिले तेरा नाम सुनाता हूँ
फिर तेरा नाम छुपाता हूँ
आगे से पीछे आता हूँ
मै लिखता हूँ मिटाता हूँ
मिलने के इक वादे पर
रस्‍ते भर दीया जलाता हूँ
झूठे इश्क़ के नगमों को
मैं घूम घूम के गाता हूँ
हर पल आती यादों को
सीने में रखता जाता हूँ
फिर मैं कलम उठाता हूँ
उससे इक ग़ज़ल बनाता हूँ
अपने दर्द से घिस घिस कर
शब्दों को मैं चमकाता हूँ
पहिले तेरा नाम सुनाता हूँ
फिर तेरा नाम छुपाता हूँ
आगे से पीछे आता हूँ
मै लिखता हूँ मिटाता हूँ

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