Ayush Modanwal   (Suraj)
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Joined 28 December 2019


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Joined 28 December 2019
14 MAR 2020 AT 23:37

एक वक्त हुआ करता था जब,
उनसे नजरें मिलाने को तरस जाते थे हम,
कुछ गुफ्तगू करने को हदे पर कर जाते थे हम,
खुदसे भी यू लड़ जाते थे हम,
की सांस वो लेती और जी लेते थे हम।

एक वक्त है अब जब,
खुद से नजरें न मिला पाते है हम,
उनको याद करके आंसू न ला पाते है हम।

वो वक्त था गुजर गया,
उस 'सूरज' को वापस न ला पाते है हम।

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13 MAR 2020 AT 22:50

उनसे मोहब्बत करने की,
बड़ी क़ीमत चुकाई
उनसे कुछ इज़हार करने की,
अब तो कुछ यूं लूट गए हम यारों,
न रही क़ीमत हमारी उनसे प्यार करने की

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13 MAR 2020 AT 22:39

जो कभी जीने की वजह बन बैठे थे,
जो कभी हर मर्ज की दवा बन बैठे थे,
जो कभी सांसो की हवा बन बैठे थे
वो आज हमसे रूठ गए,
हा जी हम टूट गए।
रूह से भी निकले वो इस तरह,
की हमारी रूह भी लूट गए,
हा जी वो रूठ गए,
हा जी हम टूट गए।

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1 JAN 2020 AT 3:02

यूं तो रास्ते आसान बहुत थे मंजिल तक पहुँचने के लेकिन न जाने क्यों उनके गलियो से होकर गुज़रने में ही दिल को सुकून मिलता था।

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31 DEC 2019 AT 1:00

लोग आशीर्वाद देते थे कि तुम्हे सीता जैसी वधु मिले। अब उन्हें कैसे समझाऊं की कि मैं कोई श्रीराम नही हूँ।

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29 DEC 2019 AT 21:13

इश्क़ में लोग चाँद तारे तोड़ लेने की बात करते है ग़ालिब, हमें तो उनके गली से भी गुज़रने में डर लगता हैं।

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29 DEC 2019 AT 16:25

my dream where you were real, where we were made for each other unlike this place where you reside in my heart yet much far away from my love and feelings. This wicked world...

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28 DEC 2019 AT 20:37

एक लेखक शब्दो के माध्यम से मात्र प्रयास करता है, सच्चाई तो पाठक सुनिश्चित करता है।

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28 DEC 2019 AT 20:25

आज वर्षों बाद प्रतीत होता ही मानो विचार रूपी खेत लहलहाने को तैयार है, विचार को ग्रहण करने हेतु लोग भी तत्पर है, मन रूपी ऋतु भी अनुकूल है, तथा कोई परम शक्ति उस खेत को सींचने को भी तैयार है,
बस जरूरत है तो शब्द रूपी बीज के बोने की।

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28 DEC 2019 AT 1:47

It was a dark night. Everyone was asleep. But in the corner there was a guy, still awake chasing his dreams to get some sleep one day!

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