काश वो दिन वापस आ पाते
बचपन में हम फिर से जा पाते
जहाँ मस्तियों से भरा हुआ
दोस्तों का साथ था
प्यार से भरा हुआ
माँ बाप का डांट था
गलतियां तब नादानी कहलाती थी
डांट और प्यार में अंतर नही दिखती थी
जहाँ टेंशन शब्द से कोई नाता नही था
सब कुछ बस प्यारा लगता था
जब बच्चे थे तब बड़े होने को दिल करता था
अकेले सब काम करने का जोश था
मगर तब हम सच्चाई से अनजान थे
दुनिया की असलियत से अनजान थे
तब हमें कहाँ पता था
बड़े हो जाने के इतने नुकसान हैं
सफलता से दूसरों को ईर्ष्या होती है
तथा असफलता से ताने मिलते है
काश हम फिर से बच्चे बन पाते
दुनिया में फिर से खुलकर जी पाते
काश हम बचपन मे फिर से जा पाते
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