ढलती राते बोलती है "- देख निकल गई आज भी उसकी यादे छूकर तुझे "- ओर वो आज भी नही आया जिसका इंतेज़ार से सूखी हो गई ऑंखे तेरी ! मका की चौखट भी ना जाने क्यों ये सवाल करती है कहाँ है वो जिसका तू बेसबरी से इतना इंतेज़ार करती है !— % &
बेवकूफ किसी ओर को ढूंढने निकली है ! वफ़ा को छोड़ कर " - दौलात का हाथ थामने निकली है ! अरे ये दौलात भरी मुहब्बत कुछ वक्त की खुशिया देगी '- पागल लड़की ' दो पल की खुसी के लिए उम्र भर का दर्द लेने निकली है !
उंसके झुमके ने बताया है हाल उसका "- ये होठ उंसके बारे मे क्या बताएंगे ! हमने सब कुछ जान लिया है राज़ दिल का - वो अब लफ़्ज़ों मैं क्या बताएंगे "- झुकती नजरो से इज़हार कर गई है - ये अल्फ़ाज़ उसकी मुहब्बत को अब क्या वया करेंगे !
कोई भी रिश्ता अच्छा नही लगता , पिता से प्यारा किसी का साथ अच्छा नही लगता "- सर पर हाथ पिता का छत की तरह होता है "- पिता हो साथ तो बारिश का एक कतरा भी इस जिस्म पर नही लगता !
महसूस तुझे मैं कर लेता हूँ , तेरी यादों संग रह कर "- कुछ कदम चल लेता हूँ ! खाली खाली रास्तों पर "- तुझे ढूंढता हूँ - मैं हर दिन एक कदम तेरी ओर रखता हूँ "- राख बनकर हवाओ मैं बहता हूँ "- तू महसूस कर मैं तेरे ही आस पास रहता हूँ !