टूटा फूटा हास्यास्पद और अपमानित उलझा हुआ और भटका हुआ किरदार एक श्राप लिये अकेलेपन की खाई मे खत्म ना होने वाला दर्दनाक इंतेजार सवाल सांपो की पकड़ से घिरे हुये जवाब मिलने का नही हो कोई आसार अब बस दौड रहा हूँ कहाँ,क्यों नही पता प्रकाशवर्ष की दूरी सा हो गया उसका प्यार
काश ऐसा हो जाये ....हर दिन इतवार हो जाये पड़े रहे tv देखते , फट से खाना तैयार हो जाये महीने का हर दिन तीस या इकतीस जैसा हो और काश हो ऐसा की हर दिन पगार हो जाये 😊😊😊😊