ॐपंक्षी   (@पंक्षी 🕊️)
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Joined 8 November 2018


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27 OCT 2022 AT 1:10

धीरे- धीरे मैंने लोगों से मिलना कम कर दिया..!
क्योंकि एक वक्त बाद समझ आया की सुकून अकेलेपन में ही हैं !!

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12 OCT 2022 AT 0:48

भीड़ तो बहुत हैं, मेरी चौखट पे !
पर अफ़सोस मेरा दिल अकेलेपन का मारा हैं !!

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11 SEP 2022 AT 14:17

इस दुनिया में तुमसे ज्यादा खुबसूरत कुछ भी नहीं,
क्योंकि प्रेम से ज्यादा खुबसूरत कुछ हो भी नहीं सकता!!

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7 AUG 2022 AT 5:05

No one understands you in bad times, neither parents nor siblings, yes, everyone plays their responsibility to some extent, so never think of family as your first priority, your first priority is yourself then everything else

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2 MAY 2022 AT 13:36

जब विवाह की नींव ही प्रेम हैं,
तो प्रेम विवाह से इतनी आपत्ति क्यों !!

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1 MAY 2022 AT 16:27

सांझ होते ही सब लौटते हैं मकां आराम को ,
वो लौटती हैं दफ़्तर से मकां फिर से काम को !!

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29 APR 2022 AT 13:39

एक रात सब यहीं रह जाएगा
एक रात जब मौत आएंगी !

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28 APR 2022 AT 14:15


बिन ब्याही ,तलाकशुदा स्त्रियां मां बाप से ज्यादा,
बन जाती हैं बोझ, एक दाना न पूछने वाले समाज के लिए!!

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27 APR 2022 AT 14:51

ये साज ये श्रृंगार
ये हाथों की चूड़ियां
ये आंखों की चमक
ये होठों पे तरब
ये चेहरे का नूर
सब कुछ उतना ही
मनमोहक हैं
जीतना की
समंदर किनारे
ढलता हुआ सूरज

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25 APR 2022 AT 16:16

हमारे देश में समाज को ढोने का सारा बोझ,
सिर्फ मध्यमवर्गीय परिवारों ने उठा रखा हैं !!

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