pata nahi zindagi kaha se kaha le ja rhi hai wo jo tha, ye wo nhi h.. jo tha usi safar tak tha or mai usi safar ka ho ke reh gaya ye bas Samjhauta hai.. kisi ki, kisi ke khushiyon ka sach mano.. maine thaam rakha hai abhi bhi khud ko, wahi!
आभास होता है कि तुम मुझसे ऊब गए हो, लगता है जैसे मैं तुम्हारे जान पे बन आई हूं और तुम मुझसे पीछा छुड़ाना चाहते हो.. मुझे ख़ुद पे इतना गुरूर था कि पता ही नहीं चला कब मैं किसी के लिए इतनी बुरी बन गई.. तुम्हारा दूर जाने से ज्यादा दुःख तुम्हारे अंदर बदले हुए उस शख्स को देखकर है.. अब की बार जब मिलोगे, तुम्हें मैं कुछ तुम सा ही दिखूंगी.. और मैं शुक्रगुज़ार हूं उन सभी का जिन्होंने मुझे लोगों से दूर रहना सिखा दिया