आओ हम दीपक बन जायें
मिथ्या पर जीत सत्य की, सत्य को हम विजयी बनायें
भुला कर गिले शिकवे सारे, आओ हम शत्रु को भी गले लगायें इस दिवाली... आओ! हम दीपक बन जायें
ऊँच-नीच जात-पात छोड़, धर्म मानवता अपनायें
समाज को पाठ भाईचारा का पढ़ायें, आओ हम सभी एक रंग में रंग जायें
अपनी सोच इस दुनिया से परे कर जायें, आओ हम एक नया समाज बनायें
गढ़ें एक नया इतिहास आज, हर घर खुशियों के दीप सजायें इस दिवाली... आओ! हम दीपक बन जायें
वृद्धों का सहारा बने, भूले भटकों को राह दिखलायें
भूखों का पेट भरें हम अंधेरे घरों का उजाला बन जायें इस दिवाली... आओ! हम दीपक बन जायें
बाँटे बच्चों मे खील मिठाई, हर्षोल्लास से यह पर्व मनायें
दुनिया भर का अंधकार मिटायें इस दिवाली... आओ! हम दीपक बन जायें
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