पता नहीं आज ज़िन्दगी के किस मोड़ पर खड़ा हूँ मैं .... कल आज से बेहतर होगा, इस उम्मीद में खड़ा हूँ मैं .... शायद माँ - बाप की दुआओं का ही असर है .... कि हर मुश्किल से लड़कर खड़ा हूँ मैं .... पता नहीं जिंदगी के किस मोड़ पर खड़ा हूँ मैं ....
आज फिर घर वापस लौट जाने को मन करता है .... इस जिंदगी से दूर भागने को मन करता है .... थक गया हूं मैं रोज़ - रोज़ की परेशानियों से .... अब बस सुकून से वक़्त गुज़ारने को मन करता है .... हाँ आज फिर घर वापस लौट जाने को मन करता है ....
इस अकेलेपन में अजीब सा खौफ है... इस अंधेरे से बहुत डर लगता है.... कोई बात करे तो डर लगता है... किसी की आहट हो तो डर लगता है.... कोई आवाज़ दे तो डर लगता है.... इस अकेलेपन से मुझे डर लगता है ....
Haan main bhi likhta hun.. Apni mayoosi door krne ke liye likhta hun... Khud ko aaina dikhane ke liye likhta hun.... Ho na jaon magroor main... Isliye main likhta hun.... Haan main bhi likhta hun...