atharva pintu Thakur   (अथर्व)
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Joined 27 May 2018


Joined 27 May 2018

वो जिसके सामने, सब बोलने से डरते हैं,
वही अब किसी के सामने, दिल खोलने से डरता है।

लिखता है, मिटाता है, मन की बात से घबराता है,
वो टूटने के डर से, दिल की बोलने से डरता है।

तरकीब बेशक बना रखी है उसने,
उसे हासिल भी कर लेने की,
हारने का डर देखो,
कमबख्त जज्बातों को टटोलने से डरता है।

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31 MAR AT 13:09

बस कुछ सपने जो साथ में हैं, उनके ही कारण जिंदा हूं,
बाकी वो जो बीत गए, उनके मरने से शर्मिंदा हूं।
बीते सपनों की आहट मुझको सोने नही देती है,
बचे हुओं की ऐसी फितरत, रोने नही देती है।
थोड़ी और कोशिश, थोड़ी और मेहनत,
सपने ये कहते जाए रे़,
बिन सपनो के जिंदा रहना, कैसा मृत जीवन हाय रे,
बिन सपनो के जिंदा रहना, कैसा मृत जीवन हाय रे।

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11 MAR AT 12:42

खुद मंदिर के दरवाज़े पर,
खड़ा मन्नतों की भरमार लिए,
पर मेरे पैर पकड़ के जो माँगता,
उसे भिखारी कह रहा था मैं।

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13 FEB AT 23:13

इश्क आजादी, निकाह कफन🤐

कौन इश्क को बर्बाद करने का जोखिम उठाए,
कौन तुम्हे खुदा से इंसान बनाए,
कौन इस नायाब तोहफे की कीमत लगाए,
कौन तुम्हे छू करके, खूबसूरती घटाए,
और कौन मूढ़ शादी कर भला,
अपने ही इश्क का जनाजा उठाए।

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5 FEB AT 10:12

ऐसा नहीं की जी सकते नही, उसके बगैर,
बस जिद्द है की जीना चाहते नही, उसके बगैर,
और ऐसा नहीं,
की नही कोई हमे चाहने वाला उसे छोड़कर,
पर अब किसी को चाहना ही नही चाहते, उसके बगैर।

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5 FEB AT 9:08

की जो डर के बीते, वो जवानी कैसी,
ढल गई जवानी तो जिंदगानी कैसी,
जिंदा हो बिन सपनों के,
और फिर मरने से भी डर लगता है,
खाए, पिए, मर गए,
है जीवित प्राणी की ये कहानी कैसी।

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1 AUG 2023 AT 13:28

कभी यूँ ही झूठी तारीफ कर दी थी हमने,
किसी कमजोर का हौंसला बढ़ाने को।
हमे ही हराने आया है वो,
आज अपना हौंसला दिखाने को।

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22 MAY 2023 AT 15:02

मेरे गाँव की जमीर लिए,
तेरे शहर की जमीन पर,
हम आशिक़ तो थें,
पर फिर शातिर न बन सकें।

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21 OCT 2022 AT 8:42

मैं जानता हूँ, की वो मोहब्बत नही करता,
वो बात और है, की मैं शिकायत नहीं करता,
इल्म उसको भी है, खुदा तेरी हैसियत का,
वो बात और है, की वो इबादत नही करता।

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19 AUG 2022 AT 10:53

किसी की मदद करने से पहले सोँच लें,
आपकी मदद उसको विकलाँग बनाएगा,
या विकलाँग बनने से बचाएगा।

Do not help out of forceful desire to make someone handicapped,
But only when without it, one shall turn handicapped.

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