Ashu Pandey   (आशू पांडेय ✍️)
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Joined 9 January 2020


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Joined 9 January 2020
19 JAN 2023 AT 8:40

तुमसे एक मन की बात कहूंगा आओ गले मिलते हैं।
जीवन भर यूंही साथ रहूंगा आओ गले मिलते हैं।

जिस शहर की कुछ गलियों से है गुजरना होता तुम्हारा।
मैं उन गलियों के पास रहूंगा आओ गले मिलते हैं।

है सुना के नाम उसने रख लिया है खुदका बारिश।
मैं बारिश सुबोह शाम कहूंगा आओ गले मिलते हैं।

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9 FEB 2022 AT 11:22

मेरे खत तुम्हे मेरी कब्र पर रखी किताबों में मिलेंगे,
तुमसे हकीकत में नहीं अब हम ख्वाबों में मिलेंगे,

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1 FEB 2022 AT 12:52

झूठ बोल कर सच छुपाया जा सकता था,
या महज नज़रे झुका के सब बताया जा सकता था,

मेरी हैसियत देख कर मुझे छोड़ दिया उसने,
मेरा दिल देख कर भी तो मुझे अपनाया जा सकता था,

जिस लकड़ी की माचिस से मेरा घर जलाया तुमने,
उस लकड़ी से चाहते तो घर बनाया जा सकता था,

मैने तो हमेशा अपनी बाहें खुली रखी तुम्हारे लिए,
यानी तुम चाहती तो वापस आया जा सकता था,

तुमसे इश्क करते है इसलिए हार कर बैठे है,
गर जीतना होता तो तुमको भी हराया जा सकता था,

ये गांव की मोहब्ब्त है जो सबको पनाह देती है
वगरना शहर से आए लोगो को शहर भगाया जा सकता था,

ये इश्क है तुमसे इसलिए तड़पते है तुम्हारे लिए,
ये इश्क ना होता तुमसे तो तुम्हे भी तड़पाया जा सकता था

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22 JAN 2022 AT 22:53

जिससे बढ़कर कोई हमे प्यारा नहीं है,
वो सारे ज़माने का है बस हमारा नहीं है,

उससे नज़रे मिले तो जरा संभल के रहना,
उसकी आंखों में कोई किनारा नहीं है,

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13 JAN 2022 AT 7:32

छायां, फल, फूल, और हवा दी है मैंने,
अनगिनत रोगों की दवां दी है मैंने,

मुझे काटने वाले क्या जाने मेरी तकलीफ़,
ज़माने के लिए कितनी संताने गवां दी है मैंने,

तकलीफ हो अंत में तुम्हें ही,
संसार से प्राकृति को इतना मत बाटो,
और मैं तुम्हारा दोस्त हूं, न
मुझे इस तरह तो मत काटो,

टहनी - टहनी, डाली - डाली टुकड़े में बट जाऊंगा,
कट चुके हैं आगे के सारे पेड़,
कल शायद मैं भी कट जाऊंगा,

जो देता है अपना सब कुछ तुम्हे,
तुम वो सब भूल जाते हो,
कितनी मतलबी सोच है तुम्हारी,
हम पेड़ो से बडी अच्छी दोस्ती निभाते हो,

पेड़ों के इस दोस्ती की अच्छी वफ़ा निभाता मैं,
होता अगर इंसान तो एक पेड़ जरूर लगता मै,

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11 JAN 2022 AT 11:43

रात मेरे चेहरे पर जुल्फें पटक कर सोई,
उसकी यादें मेरी बाहों में कुछ यूं अटक कर सोई,

हमेशा की तरह आज भी भेजा था खत उसे,
हमेशा की तरह आज भी वो मेरा खत झटक कर सोई,

सुनाती होगी किस्से हमारे ही अपने बच्चो को,
कैसे मेरी मोहब्बत उसके गली में भटक कर सोई

बर्दास्त नही कर पाती शायद ये भी मेरा गम,
आज फिर मेरे कमरे को छत टपक कर सोई,

उतर जाता होगा चांद किसी और छत पर,
मेरी आंखे रोज उसके दीदार में थक कर सोई,

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11 JAN 2022 AT 9:24

रात मेरे चेहरे पर जुल्फें पटक कर सोई,
उसकी यादें मेरी बाहों में अटक कर सोई,

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10 JAN 2022 AT 22:19

जिंदगी किताब जैसी हर पन्ना नई कहानी

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10 JAN 2022 AT 22:15

Intezar me pyar tabtak rehta hai jab tak,
Uske ane ki umeed baki hoti hai,,
Jis din ye ummid khatam ho jati hai,
Pyar ki koi kimat nahi reh jati,

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31 OCT 2021 AT 8:52

Yun To jindagi se koi Gila nahin mujhe
Magar jisko Chaha vo Mila nahin mujhe,

Khuda bachaye FIR Ishq hone se Ashu
Abhay karne ka hosla nahin mujhe,

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