सुबह सुबह कुछ आहट हुवी धुंधला सा एक साया था, कागज़ पर थे कुछ अशआर मेरे- किसी ने उनको गुनगुनाया था, ख़ुशबू बिखरी थी तेरी मानिंद... यक़ीनन मेरे ख़्वाब में तू ही आया था।
सुनो! ये तुम्हारी याद मुझे बार बार क्यूँ आ जाती है? ये पलकें झपकते ही तुम्हारी तस्वीर क्यूँ नज़र आती है? बेक़रारी का ये हाल क्यूँ है ? ख़यालों में उमड़ते ये सारे सवाल क्यूँ हैं ? अबकी तुम आओगी न ! तो जो मेरी याद तुम्हारे पास रहती है उसे वापस कर जाना और ये जो तुम्हारी याद है, इसको कुछ मुझसे लेती जाना।
पुराने सफों पर वक्त की लकीरों से उकेरे चंद अशआर याद आ रहे हैं, धुंधले से सही,मगर मेरी कहानी के कुछ पुराने किरदार याद आ रहे हैं। ✒️ आशीष सिंह मंदसौर 18-2-24
दवाओं का अविष्कार ही नहीं सभी के लिए दवा बनाते भी हैं। कौनसी नई दवा आयी है और क्या प्रभाव है ये डॉक्टर्स को बताते भी हैं। वैक्सीन बनाते ही नहीं सभी तक पहुंचाते भी हैं दवा सिर्फ देते ही नहीं Dose, effects precaution पूरा समझाते भी हैं पेशेंट्स का रख ख़याल उनकी चिंता हटाते भी हैं शासन के अभिन्न अंग हम नीतियां बनाते और उनको निभाते भी हैं। Healthcare के अभिन्न अंग हम सभी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी उठाते भी हैं। हम फार्मासिस्ट अपने अच्छे कामों से समाज का प्रेम और सम्मान पाते भी हैं। आज का दिन उत्साह सम्मान और प्रेम से पूरे समाज के साथ मिल कर मनाते भी हैं। Happy World Pharmacists Day
जल्द मिलने की .. आस को ज़िंदा रखना तुम.... सुनहरी खिलखिलाती यादें ख़ास को ... ज़िंदा रखना तुम वो ठाहके वो अट्टहास को ... ........ज़िंदा रखना तुम जल्द मिलेंगे फिर से अबकी बार इस पुरसुकूं जज़्बाए ख़ास को ...... ज़िंदा रखना तुम 11/7/23