Ashish Maurya   (Ashish Maurya✍️)
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Joined 8 February 2020


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Joined 8 February 2020
25 JUL 2021 AT 7:18

गुरु अपनी देह में सांस लेता है,
लेकिन जीता वो शिष्य के सफलता में है।

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17 JUL 2021 AT 16:55

इस शहर में तुम्हें सब कुछ मिलेगा,
सिवाय गुनाहगार के।
दीमक को भी दीपक पढ़ाया जाएगा,
दोगलो के दरबार में।

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16 JUL 2021 AT 22:01

किसी रास्ते की मूरत, किसी गावँ का पीपल हो गए हैं,
फरियादी आते तो बहुत है पर कुछ ही देर के लिए।

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11 JUL 2021 AT 20:50

वो तुम्हें घूर रहा है,
तुम उसे घूरो, तब तक,
जब तक उसे तुम्हारी नजर में डर न दिखे,
क्योंकि तुम अगर भागें,
तो वो तुम्हारे अंदर बस जाएगा,
हमेशा के लिए,
डर जाना इससे बेहतर है लड़ जाना।

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11 JUL 2021 AT 11:28

जीवन एक दर्पण है,
जिसमे रंग, रूप और आकार नही,
मन, कर्म, वचन और जीवन दर्शन का प्रतिबिंब प्रदर्शित होता है।

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10 JUL 2021 AT 21:02

निराश को दर्शाता ये शब्द- 'काश'
कहीं न कहीं अपने अंदर उम्मीद भी लिए कमी और पूर्ति के बीच मे पलता रहता है।
और मनुष्य इसके सहारे जीवन के सुख दुःख में डूबते और पार होता रहते है.....

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10 JUL 2021 AT 19:36

सबका यही कहना होता है,
बुरा वक्त है गुजर जाएगा,
जानता तो मैं भी हूँ।
लेकिन कैसे गुजर रहा है?
क्या गुजर रही है?
ये कोई नहीं जानता।

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10 JUL 2021 AT 18:49

जिंदगी के खूबसूरत पलों का एक हिस्सा ये भी रहा कि सब कुछ अपरिचित था मैं, वो, शहर, सफ़र और ज़िंदगी। सफ़र का दौर था शहर से पहचान हुई, ज़िंदगी का सफ़र था उनसे पहचान हुई, उनका सफ़र था उनकी मुझसे पहचान हुई फिर क्या था ज़िंदगी में सपने, सपनों में अपने और अपनों के लिए जीते हम।

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10 JUL 2021 AT 15:39

संवाद के लिए शब्द जरूरी है
मौन की भाषा में संवाद होते समय
अश्रु शब्द बन कर निकल आते है।

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10 JUL 2021 AT 15:28

सब कुछ जान लेना और सब कुछ पा लेना बहुत कुछ खो देंना होता है।

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